डॉ रोशनी किरण की पुस्तक कस्तूरी अंतर बसै का साहित्यिक लोकार्पण संपन्न

डॉ रोशनी किरण की पुस्तक कस्तूरी अंतर बसै का साहित्यिक लोकार्पण संपन्न
मुंबई। " कस्तूरी अंतर बसै " डॉ रोशनी किरण जी की दोहा _ सतसई का साहित्यिक लोकार्पण 27 जनवरी 20-22 को " विश्व हिंदी शोध एवं संवर्धन अकादमी " के तत्वाधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव पांडे , संचालक सारथी एल बी तिवारी अक्स, और अध्यक्षत हीरालाल मिश्र मधुकर ने किया ।विशिष्ट अतिथि अलंकार,वियोगी  , डॉ रत्नेश्वर सिंह एवं गुरु बहन शिमला शर्मा  ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। शिमला दीदी ने तारीफ करते हुए कुछ दोहे सुनाए और कहा कि उन्हें बहुत ही पसंद है दोहे ।  
रत्नेश्वर सिंह  ने कबीर जी के बारे में बताते हुए कहा कि __इतिहास पुनः मैडम रोशनी जी के रूप में अपने को दोहराएगा । ये आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ सामाजिक चेतना को भी जागृत करती हैं । वियोगी सर ने बहुत सुॅंदर समीक्षा दी। उन्होंने कहा कि __डॉ रोशनी किरण  एक भाव प्रधान साधिका हैं और इनकी रचनाएं जीवन के हर तमस को काटने में समर्थ हैं । लोकार्पण कार्यक्रम के सारथी अक्स  ने बताया कि ___हिंदी साहित्य के इतिहास में बिहारी _सतसई के पश्चात डॉ रोशनी किरण जी प्रथम कवियत्री हैं जिन्होंने दोहा जैसी प्राचीनतम विधा में " कस्तूरी अंतर बसै " दोहा_ सतसई बहुत ही अल्प अवधि में सृजन कर एक नूतन कीर्तिमान प्रतिमान स्थापित किया है और यही बात राजीव पांडे  भी कहते हैं कि डॉ रोशनी किरण की दोहा _सतसई देखकर बरबस ही बिहारी  की याद आ जाती है और कहते हैं कि वर्तमान काल की सिद्धहस्त एवं चर्चित कवयित्री डॉ रोशनी किरण जितनी अच्छी दोहा की सर्जना करती हैं उतनी ही सुंदर ग़ज़ल कारा भी हैं । उनके जिव्हा पर साक्षात सरस्वती विराजती हैं । राजीव सर ने समीक्षा में आध्यात्मिक चेतना की कवियत्री बताते हुए कहा कि_ यह ग्रॅंथ हिंदी साहित्य में निश्चित ही एक अलग स्थान बनाएगा । अलंकार सर ने ग्रॅंथ के दोहों को बिहारी _ रसलीन से जोड़ा और अपनी समीक्षा रखते हैं कि डॉ रोशनी किरण की दोहा _सतसई वास्तव में कस्तूरी की गंध लिए हुए है । कार्यक्रम के अध्यक्ष मधुकर मिश्र  ने कहा कि__ डॉ रोशनी किरण मानवतावादी कवियत्री हैं उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति और सामाजिकता की झलक मिलती है उन्होंने अपनी विद्वता से " कस्तूरी अंतर बसै " को कालजई बताया और इस ग्रॅंथ के दोहों की तुलना तुलसी के मानस से , कबीर जी के दोहों से , महाकवि कालिदास के मेघदूत से करते हुए इस ग्रॅंथ को " गागर में सागर " कहा और वो विवेक वाल्मीकि का , समर्पण मीरा का तो महाकवि जयदेव के गीतों की झलक मिलती है ऐसा बताते हैं । दधीच की तरह लोक _कल्याण की भावना परिलक्षित होती है और महादेवी वर्मा की वेदना भी है एवं सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की प्राकृतिक प्रेम का दर्शन भी इनकी रचनाओं में मिलता है ऐसा बताते हैं और कहते हैं कि यह ग्रॅंथ हिंदी साहित्य में निश्चित ही अपना एक स्थान  बना लेगा । डॉ रोशनी किरण ने साहित्यकारों का आभार मानते हुए कहा कि सभी साहित्यकारों ने इतनी सुॅंदर _सुॅंदर विवेचना की है कि उनके आभार स्वरूप  शब्द ही नहीं हैं । डॉ किरण ने कहा कि ,– मैं आजीवन सबकी ऋणी रहूॅंगी । सभी को हृदय से प्रणाम करती हूं।

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