"अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम" का मुक्तिबोध को समर्पित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

"अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम" का मुक्तिबोध को समर्पित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन
 गजानन माधव "मुक्तिबोध". आधुनिक काल के एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपने मौलिक चिंतन के साथ हिन्दी काव्य को एक नयी दिशा प्रदान की एवं आजीवन सहित्य-सृजन और पत्रकारिता से जुड़े रहे। जीवन के प्रति विषाद और आक्रोश से भरी इनकी कविताएं हिन्दी काव्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती हैं।  मध्यप्रदेश के श्योपुर में 13 नवंबर 1917 को जन्में इस महान कवि ने अपनी लंबी कविताओं से साहित्य को समृद्ध किया है। इस महान कवि के स्मरण में अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम की ओर से नवंबर माह को समर्पित करते हुए श्रद्धांजलि स्वरूप डॉ. ओमप्रकाश पांडेय की अध्यक्षता एवं संस्था के संस्थापक व महासचिव डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद के संचालन में गूगल मीट के माध्यम से एक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में अद्यतन के संपादक प्रो. डॉ. ब्रज नंदन किशोर, डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा एवं मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रो. विवेक मणि त्रिपाठी, दक्षिण एशियाई भाषा व संस्कृति विभाग, क्वांगतोंग, चीन और विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती कश्मीरा सिंह, छपरा एवं श्री ईश्वर करुण, चेन्नई उपस्थित थे। कार्यक्रम "छंदा मंजरी नृत्य शिक्षायतन" सिलीगुड़ी की कलाकार सुश्री सिमरन प्रसाद के उद्घाटन नृत्य से आरंभ हुआ एवं संस्था के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र नाथ शुक्ल के धन्यवाद ज्ञापन से समापन हुआ। 
सबसे पहले सठोत्तरी कहानी की सुप्रसिद्ध कथाकार एवं कथा साहित्य में नारी विमर्श को नयी दिशा प्रदान करने वाली कथाकार स्वर्गीय मन्नू भंडारी की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। प्रमुख वक्ता प्रो. डॉ. ब्रज नंदन किशोर ने मन्नू भंडारी के कथा लेखन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका कथा साहित्य पुरुषवादी समाज पर चोट करता है। इनका उपन्यास 'आपका बंटी' जिसने इनको कथा साहित्य में एक नयी पहचान दिलायी, प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक जीवन के टूटते-बिखरते संबंधों का बहुत ही सूक्ष्मता से ताना-बाना प्रस्तुत करता है। उसके बाद प्रो. किशोर ने मुक्तिबोध को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मुक्तिबोध प्रगतिशील और नयी कविता के बीच के एक सेतु थे जिनकी कविताएं मध्यमवर्गीय संघर्ष और विषमताओं की ताकत का आख्यान प्रस्तुत करती हैं। 
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में देश-विदेश के कवियों ने अपनी बेहतरीन कविताएं प्रस्तुत की जिसमें श्री ईश्वर करुण, चेन्नई, प्रो. डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, क्वांगतोंग, चीन, श्रीमती कश्मीरा सिंह, छपरा, श्री जयप्रकाश अग्रवाल, नेपाल, श्री देवी प्रसाद पांडेय, प्रयागराज, पूजा अग्रवाल, मुजफ्फरनगर, डॉ. भीखी प्रसाद 'वीरेन्द्र', श्री देवेन्द्र नाथ शुक्ल, डॉ. ओमप्रकाश पांडेय, श्री सत्येन्द्र कुमार सिंह, डॉ. वंदना गुप्ता, गुंजन गुप्ता,
श्रीमती ऋतु गर्ग, रूबी प्रसाद, सिलीगुड़ी, डॉ. अलका अरोड़ा, श्रीमती विद्युत प्रभा चतुर्वेदी, मंजु, देहरादून, श्री शारदा प्रसाद दुबे 'शरदचंद्र' थाने, मुंबई, श्री रमेश माहेश्वरी राजहंस, बिजनौर, श्रीमती स्नेह लता शर्मा, लखनऊ, संतोषी दीक्षित, डॉ. अलका अरोड़ा, कानपुर, श्री संतोष कुमार साह, दुर्गापुर, आनंद उर्वशी, दिल्ली, अर्चना आर्याणी, सीवान शामिल थे। यह पूरा कार्यक्रम यूट्यूब एवं फेसबुक पर लाइव प्रसारित हो रहा था जिसके माध्यम से देश-विदेश के श्रोता जुड़े हुए थे।

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