सजावट कला - चित्रों की खूबसूरती बढ़ाने का एक अलग तरीका--शिल्पा सोनटक्के

सजावट कला - चित्रों की खूबसूरती बढ़ाने का एक अलग तरीका--शिल्पा सोनटक्के
हाल ही में एक अलग सी प्रदर्शनी देखने का मौका मिला,जिसका नाम था "सजावट कला ",कला के इस रूप में सामान्य से चित्र के रंगों का संयोजन बनाए रखते हुए चित्रों की खूबसूरती को बढ़ाया गया था।
जिसने भी यह प्रदर्शनी देखी वो बनाने वाले की तारीफ किए बिना नहीं रह सका॰ सजावट करने वाले की सभी धर्मों के प्रति अगाध श्रद्धा उनके चित्रों के चयन में झलक रही थी।किसी भी प्रकार के चित्र में,उसकी बारीकियों को ध्यान में रखते हुए, कड़ी मेहनत से उन्होने जान डाल दी थी।चित्रों के अलावा पीपल के पत्तों पर भी सुंदर चित्रकारी की गयी थी,विवाह के निमंत्रण पत्रों पर भी बहुत सुंदर सजावट करके कला के क्षेत्र में एक नयी संकल्पना को तैयार किया गया था और तरह तरह के टेटूज का इस्तेमाल करते हुए खूबसूरत बूकमार्क्स भी बनाए गए थे, जिन्हे पठन पाठन करने वाला, भगवान की पोथी नियमित पढ़ने वाला अपने पास जरूर रखना चाहेगा॰ ये उनकी स्वयं की नूतन कृति है।
चलिये, अब आपको इसे बनाने वाली आर्टिस्ट के व्यक्तित्व की अन्य खूबियों से भी परिचय कराती हूँ॰ शिल्पा,उन लोगों में से है जो अपने आसपास के वातावरण को सुंदर और सकारात्मक बना देते हैं॰ वे सदैव अपनी हैसियत के मुताबिक दूसरों की जितनी मदत हो सकती है करने को तत्पर रहती हैं ॰उनकी समाज सेवा की अपनी अलग संकल्पना है,जिसे वे कार्यान्वित करती रहती हैं,बिना किसी तामझाम या पौब्लिसिटी के॰ भौतिक सुख सुविधाओं से ज्यादा वे अपने उसूलों और मानवीय मूल्यों को ज्यादा महत्व देती हैं,और उसकी गरिमा को बनाए रखती हैं॰इंसानियत उनके लिए सबसे बड़ा धर्म है,जो न केवल एक अच्छा आर्टिस्ट बल्कि एक विशेष व्यक्ति भी बनाता है॰ बचपन से ही वे समाधानी,अनुशासन प्रिय,मृदुभाषी, विदुषी,और रे श न ल सोच रखनेवाली रही हैं, जो उनकी पहचान के सभी लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को देखकर पता चलता है।
सभी के प्रति आदर और स्नेह के कारण और सभी को समझने की उत्सुकता में,मुंबई जैसे शहर में रहते हुए,उन्होने कड़ी मेहनत से सुन -सुन कर दस भारतीय भाषाओं को बोलना सीखा,और आज कोई उन्हे बातें करता हुआ सुनें तो बता नहीं सकता कि,उनकी मातृभाषा गुजराती है।
उनकी शैक्षणिक योग्यता में,उन्होने मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय लेकर एम॰ए.किया है॰उनके हिन्दी उर्दू मिश्रित 6 कवि संग्रह प्रकाशित हुए हैं और गुजराती में एक काव्य संग्रह तथा एक लघुकथा संग्रह प्रकाशनाधीन है।उन्होने 27 वर्षों तक राजभाषा कार्यान्वयन के क्षेत्र में बैंक में अपनी सेवायेँ दी हैं।
उनके अच्छे स्वभाव और सकारात्मक दृष्टिकोण और भगवान में अटूट श्रद्धा और सबकी दुआओं के सहारे उन्होने कैंसर जैसी बीमारी को मात देने के लिए, बीमारी के दौरान लगभग 150 से 200 जितने भगवान के चित्रों की सजावट की और "भक्ति "नामक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया,और हमारे घरों और पूजास्थानों को सजाने के लिए सुंदर चित्र उपलब्ध कराये, जो शायद ही किसी ने ऐसी बीमारी के दौरान किया हो।देखिये उनके द्वारा सजाये गए कुछ चित्र।

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