"अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम की ओर से हिन्दी अभिनंदन समारोह"

"अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम की ओर से हिन्दी अभिनंदन समारोह" 
भाषाओं की बहुलता के बीच ऐतिहासिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से हिन्दी की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। हिन्दी में भारत की आत्मा विराजमान है। यह सिर्फ भाषा ही नहीं,  भारत की पहचान है। अपनी उदारता, सहजता और लचीलापन के कारण ही सबको अपनाकर निरंतर लोकप्रिय और विकास की ओर अग्रसर होती जा रही है। ऐसी भाषा जो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान कायम करती जा रही है, उसका अभिनंदन तो होना ही चाहिए। इसी के तहत अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम की ओर से इसके सम्मान में हिन्दी दिवस पखवाड़ा के अंतर्गत 'हिन्दी अभिनंदन समारोह' का आयोजन किया गया और सायं 4 बजे से गूगल मीट के माध्यम से "वैश्विक स्तर पर हिन्दी की दशा एवं दिशा" विषय पर एक वेबिनार एवं ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ। पहला सत्र सुश्री दीपिका जायसवाल के स्वागत गीत एवं दूसरा सत्र सुश्री सिमरन प्रसाद के उद्घाटन नृत्य से आरंभ हुआ एवं संस्था के संस्थापक व महासचिव डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद द्वारा दोनों सत्रों का संचालन किया गया। 
इसमें मुख्य अतिथि के रूप में अद्यतन के संपादक प्रो. डॉ. ब्रज नंदन किशोर, पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा ने 'वैश्विक स्तर पर हिन्दी की दशा एवं दिशा' पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी अपने बल-बूते पर निरंतर विकास करते हुए वैश्विक स्तर पर अपना स्थान बनाती जा रही है। सरकार द्वारा नयी शिक्षा नीति में 11 भारतीय भाषाओं को तकनीकी शिक्षा का माध्यम बनाया जाना इसके विकास में काफी सहायक होगा। ओमान से विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि ओमान में हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है एवं यहाँ न्यायालयों में भी इसका प्रयोग होता है। विशिष्ट अतिथि सारिका जैथलिया, इंडोनेशिया ने बताया कि खाड़ी देशों में हिन्दी बहुत ही लोकप्रिय भाषा है। चीन से उपस्थित विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने बताया कि यहाँ 13 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है एवं यह बाजार की भाषा बन गयी है। अमेरिका से विशिष्ट अतिथि श्री मनोज पोद्दार ने कहाँ कि यहाँ रहनेवाले भारतीय चाहे किसी भी प्रांत के क्यों न हों, उनकी संपर्क की भाषा हिन्दी ही है। नेपाल से उपस्थित विशिष्ट अतिथि श्री जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि यहाँ हिन्दी आम बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयोग की जाती है, लेकिन यहाँ की सरकार ने षड़यंत्र कर इसे विद्यालयों से हटा दिया है। वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे संस्था के अध्यक्ष श्री देवेंद्र नाथ शुक्ल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सबके प्रति अभार व्यक्त किया।
प्रो. डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, हावड़ा की अध्यक्षता में दूसरा सत्र  कवि सम्मेलन आरंभ हुआ। इस कवि सम्मेलन में श्री ईश्वर करुण, चेन्नई, श्री देवी प्रसाद पांडेय, प्रयागराज, डॉ. भीखी प्रसाद' 'वीरेंद्र', डॉ. ओमप्रकाश पांडेय, श्री सत्येन्द्र सिंह, नेमतुल्लाह नूरी, श्री मोहन महतो,सुश्री ज्योति भट्ट, गुंजन गुप्ता, नीलू गुप्ता, ऋतु गर्ग, सिलीगुड़ी, श्री प्रदीप ठाकुर, आनंद उर्वशी भाटिया, दिल्ली, श्रीमती कश्मीरा सिंह, छपरा, श्री मनोज कुमार वर्मा, अर्चना आर्याणी, श्री युगल किशोर द्विवेदी, सीवान, श्रीमती विद्युतप्रभा मंजु, प्रो. डॉ. अलका अरोड़ा, देहरादून, श्रीमती पूजा अग्रवाल, मुजफ्फरनगर, श्री रमेश माहेश्वरी राजहंस, बिजनौर, श्री विधुभूषण त्रिवेदी, श्री शारदा प्रसाद दुबे 'शरदचंद्र', श्री विनय शर्मा दीप, थाने मुंबई, श्री संतोष कुमार साह, दुर्गापुर, डॉ. विपिन किशोर प्रसाद, डॉ. उर्मिला साव, कोलकाता, डॉ. मनोज मिश्र, हावड़ा, श्री ब्रजमोहन कृष्ण, वैशाली, श्रीमती कमला तामंग, मिरिक, श्री मुकेश ठाकुर, कालिंपोंग एवं श्री अमर बानियां लोहोरो, गांगटोक ने गीत, गजल एवं अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।

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