महादेव

*महादेव*
सती की लाश
कंधे पर लादे 
कब तक भटकोगे 
महादेव!

बहुत भीड़ है 
मणिकर्णिका में

पतितपावनी जाह्नवी की
प्रदूषित धार में
मरी मछलियों-सी बहती
अपार लाशों के बीच
विसर्जित करो
मृत देह सती की

जान बचाकर निकलो
धूर्जटि!

जाओ देखो
कुटुंब में शेष हैं कितने
और कितने होने हैं
विसर्जित

यह तांडव
आपके बस का नहीं है
महाकालेश्वर!

असहाय टिके घुटनों
और पराजित प्रजाओं के
देवता अमर नहीं होते
महादेव!

*-हूबनाथ*
 प्रोफेसर, मुंबई विश्वविद्यालय

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