कलयुग में कितना पाप है...!!!
कलयुग में कितना पाप है...!!! मानवता तो गायब है, अमानवता की मौज है; कमीनापन हावी है; प्यार - प्रेम सिसकता है। सच दिखे हताश, झूठ कितना बली है; कलयुग में कितना पाप है. 1 कर्तव्यों की हत्या कर दी, अधिकारों की बात है; भाई - बहन को लज्जित करते, साले - साली का राज है। जीजा - फूफा को गोली मारो, मामा - मौसा पर नाज़ है; कलयुग में कितना पाप है.2 दादा का प्रेम नहीं चहिए, नाना की क्या बात है; दादी को कोई न पूछे, नानी की तो ठाठ है। सत्य का साथ कोई न देता, कपट की कठिन बिसात है; कलयुग में कितना पाप है. 3 चाचा -चाची दर - दर भटकें, मामा - मामी भगवान हैं, बहन को पूछे न कोई, साली की सब बात है। करें चिरौरी मात - पिता खुब, सुने कपूत न बात है; कलयुग में कितना पाप है. 4 ससुराल लगे सबसे प्यारी, जहां हर देवों का वास है; जन्मभूमि से नफ़रत करते, माता - पिता तो पाप है। अपनों को हैं धोखा देते, ये कैसा अभिशाप है? कलयुग में कितना पाप है.5 घर के बाहर प्रेम से रहते, परिवार में 'वार' है; नित प्रति 'कुटिल' भंडारा करते, माता - पिता अनाथ है। घर - घर मचा महाभारत है, ईर्ष्या - द्वेष क...