*3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस विशेष**आत्म कथा* *एक दिव्यांग की संघर्षों की कहानी**तुलेश्वर कुमार सेन*
*3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस विशेष* *आत्म कथा* *एक दिव्यांग की संघर्षों की कहानी* *तुलेश्वर कुमार सेन* वे दिन भी क्या थे याद करो तो कभी खुशी कभी कम कह सकते हैं क्योंकि कुछ बातें होठों पर हँसी ले आते हैं तो कुछ बातों से आँखों में आँसू आ जाते हैं। मेरा जीवन पूरी तरह संघर्षों से भरा रहा इसका एक कारण एक पैर से दिव्यांग होना रहा बचपन में कोई एक साल का रहा होगा उसी समय मेरा पैर पोलियों से ग्रसित हो गया था परिवार वाले बहुत इलाज कराया परंतु सफलता नहीं मिली ।बैशाखी के सहारे चलने का प्रयास चला और यही मेरा सहारा बन गया जिसके बाद हर पल चुनौती को स्वीकार करना पड़ता था कुछ लोग ही सम्मान से बात कर लेते थे बाकी लोग हमेशा आलोचना या निराशा वाली बातें करते थे ।कभी कभी मन में कई बार अपने आपको खत्म कर देना चाहिए ऐसा विचार भी मन में आता था परंतु वह समस्या का समाधान नहीं था।फिर अंदर से प्रेरणा मिली क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों के बीच में अपना अलग पहचान बन जाए जो लोग आज आलोचना कर रहे हैं वह प्रशंसा करने पर मज...