चारों वेद राष्ट्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं : स्वामी नारायणानंद तीर्थ

चारों वेद राष्ट्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं : स्वामी नारायणानंद तीर्थ 
वसई। महानगर के नालासोपारा पूर्व में गुरुवार 5 दिसंबर 2025 से भक्त श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं।श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के सातवें दिन गुरुदेव ने कहा कि वेद,सब प्रकार से राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।समस्त एषणाओं से मुक्त होकर संन्यास आश्रम की ओर जाना होता है।दो प्रकार की संततियां होती हैं,एक बिंदु संतति  और दूसरी नाद संतति। माता-पिता से बिंदु संतति और सद्गुरु से नाद संतति की परंपरा चलती है। आयुर्वेद में आयुष्य, शिल्पवेद से शिल्पकला, धनुर्वेद से अस्त्र-शस्त्र और गंधर्व वेद से संगीत कला और स्थापत्य वेद से महलों आदि का आविर्भाव हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण,संपूर्ण जीवन को जीने की कला के मूल सूत्र हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत के अनुसार पूरी सृष्टि ही चिन्मय है।वही ब्रह्म यत्र -तत्र -सर्वत्र अवस्थित है। ब्रह्म और जीव में अंश-अंशी का संबंध है।
यह दर्श कराने वाले सद्गुरु होते हैं। श्रीकृष्ण, किसान की तरह हृदय रूपी खेत से अविश्वास के कंकड़ हटाता है, भक्ति के रस से उसे सींचता है, फिर प्रेम के बीज बोने से समय पर फसल लहलहाती है। भगवान श्रीकृष्ण भक्त के हृदय में प्रेम की खेती करते हैं।षट्सद्गुणों से परिपूर्ण हैं भगवान।कंस की वृत्ति अभिमान, हिंसा और स्वार्थ की है, इसलिए ऐसी वृत्ति से बचना चाहिए। हमें मनसा वाचा कर्मणा तीनों ही तरह की हिंसा से बचना चाहिए। सफलता के लिए विश्वास बहुत आवश्यक है। ईश्वर देश- काल और स्थिति से प्रभावित नहीं होते। श्रीमद्भागवत में भगवान के सत्, चित् और आनंद स्वरूप का वर्णन है। उसमें पूरी सृष्टि के कल्याण के सूत्र विद्यमान है। नालासोपारा पूर्व में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ से पूरे क्षेत्र में ज्ञान और भक्ति की गंगा प्रवाहित हो रही है। आयोजकों ने बताया कि 9वें दिन 13 दिसंबर को कथा 2 बजे आरंभ होगी।कथा की संपन्नता के बाद 4बजे से प्रसाद हेतु भंडारे का आयोजन किया गया है।

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