जौनपुर में काकोरी कांड के क्रांतिकारियों को दी गई श्रद्धांजली

जौनपुर में काकोरी कांड के क्रांतिकारियों को दी गई श्रद्धांजली
जौनपुर। आजादी आंदोलन के गैर समझौतावादी धारा के महान क्रांतिकारी व काकोरी-ऐक्शन के अमर शहीद - रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, रोशन सिंह व राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के शहादत दिवस के अवसर पर काकोरी-ऐक्शन शताब्दी वर्ष आयोजन समिति जौनपुर  की ओर से 19दिसम्बर 2025 को श्री आर पी कालेज आफ फार्मेसी खजुरन, बदलापुर, जौनपुर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। काकोरी ऐक्शन की घटना का 100 वर्ष पूरा होने पर हमें उस गौरवशाली संघर्ष की याद दिलाता है। हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (HRA) का उद्देश्य एक ऐसा गणतांत्रिक आजाद भारत बनाना था जिसमें हर एक इंसान के लिए जरूरी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा व आवास की जरूरतें पूरी हो पायें। देश में अमन-चैन, भाईचारा रहे व धर्म-जाति और क्षेत्र के नाम पर कोई बंटवारा न हो। बाद में भगतसिंह व उनके साथियों ने हिन्दुस्तान में समाजवादी समाज की स्थापना करना उन्होंने अपना लक्ष्य घोषित किया था। इसीलिए क्रांतिकारी संगठन- हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में "सोशलिस्ट" शब्द जोड़कर संगठन का नया नाम "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)" बनाया। जिसका कमान्डर-इन-चीफ महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद को चुना गया। HSRA ने अपने घोषणापत्र में स्पष्ट कहा - "भारतीय पूँजीपति भारतीय लोगों को धोखा देकर विदेशी पूँजीपति से विश्वासघात की कीमत के रूप में सरकार में कुछ हिस्सा प्राप्त करना चाहते हैं। इसी कारण मेहनतकश की तमाम आशाएँ अब सिर्फ समाजवाद पर टिकी हैं और सिर्फ यही पूर्ण स्वराज्य और सब भेदभाव ख़त्म करने में सहायक साबित हो सकता है। देश का भविष्य नौजवानों के सहारे है। वही धरती के बेटे हैं।" भगतसिंह ने आजादी के मायने के बारे में कहा था -  "आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ। असली आजादी तो तब आएगी जब वह आदमी, जो खेतों में अन्न उपजाता है, भूखा नहीं सोये। वह आदमी, जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे। वह आदमी, जो मकान बनाता है, स्वयं बेघर नहीं रहे।" यही सपना लेकर काकोरी के क्रांतिकारी शहीद हुए। लेकिन यह दुःखद है कि आजादी के 77 वर्ष बाद और काकोरी एक्शन के 100 वर्ष पूरे होने पर भी हम देश को क्रांतिकारियों के सपनों के विपरीत एक अलग ही स्थिति में पाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आम आदमी से दूर होते जा रहे हैं, अमीर और गरीब की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। देश के सामाजिक, सांस्कृतिक व साम्प्रदायिक सौहार्द में नफरत का जहर घोला जा रहा है। काकोरी की घटना ने जहाँ बिस्मिल-अशफाक की बेजोड़ दोस्ती व एक दूसरे के प्रति अटूट विश्वास का उदाहरण प्रस्तुत किया। वहीं इसके विपरीत आज हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द को खत्म किया जा रहा है। दूसरी तरफ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई व अशिक्षा तेजी से बढ़ रही है। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भानुप्रकाश यादव द्वारा सभी शहीदों को नमन किया गया तथा कार्यक्रम में सम्मिलित सभी नागरिक गण का आभार प्रकट किया गया।कालेज के छात्र-छात्राओं के साथ विद्यालय परिवार के सभी सदस्यगण के साथ क्षेत्र के  श्री-देवव्रत निषाद, अनुष्का शुक्ला,विजय प्रकाश गुप्ता, शेखर गुप्ता, इदरीश अब्बासी, अपर्णा शुक्ला, संजय सिंह, अमन सिंह, भानुप्रकाश यादव, विशाल गौतम,बबलू सिंह, शेषना श्रीवास्तव, नंदिनीनाथ, कृष्ण चंद्र शुक्ल, और अरविन्द गुप्ता सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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