नासिक में संविधान दिवस मनाया गया
नासिक में संविधान दिवस मनाया गया
नासिक। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर में संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संविधान दिवस पर मुंबई में आतंकवादी गतिविधियों के कारण महाराष्ट्र पुलिस के जवान सहित जो नागरिक वीर गति को प्राप्त हुए उनके प्रति सभा में उपस्थित सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में भारतीय विद्या विशेषज्ञ डॉ प्रमोद वी पाठक ने भारतीय ज्ञान परम्परा के मूल्यों की तुलना संविधान से करते हुए कहा कि संविधान समाज धर्म है, हमारे आचार के नियम जिसमें सन्निहित होते है उसे समाज धर्म कहते है। समाज धर्म का प्रतिपादक संविधान है । समाज में असंतुष्ठ निर्माण करने वाले लोगों को दण्डित करने के लिए भी संविधान में दण्ड के रुप में न्यायालय का विधान किया गया है। जिसके लिए संविधान में स्मृतिग्रन्थ प्रतिबिम्बित होते है सज्जनों का अनुकरण एक धर्म पालन है।जहां पर मोह उत्पन्न होगा है वहा पर समाज में धर्म विचलन होगा और धर्म के विचलन से समाज असंतुलन होगा इसीलिए सभी को समाज, धर्म एवं स्मृति का पालन करना चाहिए इसी से संविधान की रक्षा होगी। संविधान में कुछ संस्कृति चित्रों का अंकित किया गया है ,जैसे श्री राम का चित्रण तथा श्री कृष्ण अर्जुन संवाद यह सिद्ध करता है कि हम सभी को अपने जीवन में अपने नैतिक कर्तव्यों का कैसे पालन करना चाहिए इसके लिए रामायण और गीता का अध्ययन करना चाहिए। तभी हम संविधान के वास्तविक स्वरूप को समझ सकतें है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो नीलाभ तिवारी ने कहा कि संविधान के निर्माण में बहुत विद्वानों का योगदान है जिसमें डॉ भीमराव अंबेडकर ,वी एन राव एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल का विशेष योगदान है । संविधान के प्रस्तावना में संस्कृत शब्दों का अधिक प्रयोग है संविधान के कुछ स्थानों पर संस्कृत विषय का प्रत्यक्ष उल्लेख मिलता है। संविधान के भाग 8में 22भाषाओं के मान्यता के अनुसार सीवीएससी बोर्ड ने विद्यालय खोलने की अनुमति दी है। जिसमें संस्कृत भाषा के विकास हेतु विशेष अवसर प्रदान किया गया है। संविधान में अनुच्छेद 350 के अनुसार संस्कृत भाषा से हिन्दी शब्द का अनुकरण करते समय संस्कृत हिन्दी निष्ठ का प्रावधान होना ज़रूरी है। पूंजीवाद और सर्वहारा दोनों सिद्धांत का मिश्रित करते हुए भारतीय संविधान में शिक्षा संस्कृति का आधिकार, समानता का अवसर, मौलिक कर्तव्य तथा पंचायती राज संविधान के एकता अखंडता को सुनिश्चित करता है। इस अवसर पर संविधान का परिचय एवं स्वागत भाषण में कार्यक्रम के संयोजक डॉ रंजय कुमार सिंह ने कहा कि ब्रिटिश सरकार के केबिनेट मिशन योजना तथा आठ महीना गुलामी की दासता में बना भारतीय संविधान का निर्माण हुआ था। संविधान की जो पहली बैठक 9दिसम्बर, 1946को हुई थी जिस समय भारत अंग्रेजी हुकूमत के अधीन था। जिसको बनाने में 2साल 11महीने 18दिन लगा। जो विश्व के 9देशों से अधिक संविधानों का अनुकरण किया गया जो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान का लोकतांत्रिक गणराज्य है।यदि राष्ट्र संविधान निर्माता आज़ादी के बाद संविधान निर्माण बनाने की प्रक्रिया शुरू किए होते तो आज देश का हालात कुछ और होता। हम भारतीयों के लिए संविधान वह राष्ट्रीय धर्म ग्रंथ है जो भारत को 21सदी का विकसित भारत तथा विश्व गुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अवसर पर श्रेया कराड, दर्शन पटानगडे, आर्या पुजारी प्राक शास्त्री प्रथम वर्ष तथा राजन मिश्र शास्त्री तृतीय वर्ष के विद्यार्थियो ने भी संविधान पर अपना अपना विचार ब्यक्त किए। संविधान दिवस पर आभार भौतिक विज्ञान की शिक्षिका सरिता कुमारी ने जबकि मंच संचालन व्याकरण विभाग के डॉ रविकांत त्रिपाठी ने किया। संविधान दिवस कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में समिति सदस्य तकनीकि सहायक मंगेश परमार का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ जिस समय सभी शिक्षक कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित थे।
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