*एक और बाबरी खतरे की घंटी*

*एक और बाबरी खतरे की घंटी*
        एक बाबरी मस्जिद के कारण भारतवासी आजादी के बाद अनेकों दर्द झेले हैं।अनगिनत लोग अकाल काल कवलित हुए। खरबों की सम्पत्ति बरवाद हुई।कितने बेघर हुए तो,कितनों का अता पता ही नहीं है।किसी तरह पांच सौ वर्ष तक चले मुकदमें के बाद निपटान हुआ।एक बहुत बड़ा कांटा निकला।देश थोड़ा ही शांति की तरफ बढ़ा था कि एक और बाबरी की नींव उसी दिन रखी गई,जिस दिन बाबरी मस्जिद को धार्मिक उन्मादियों द्वारा ढहाया गया था।जिस तरह से उसी दिन बंगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी नाम से मस्जिद की नींव पड़ी,वो एक खतरे की घंटी बजने का इशारा है। मस्जिद ही बनानी थी तो पैगम्बर मुहम्मद साहब के नाम से बनाते।किसी को कोई आपत्ति न होती।मगर बाबर के नाम से मस्जिद बनाना समझ से परे है।क्या बाबर मुसलमानों का खुदा है।यदि नहीं तो मुसलमान बाबरी मस्जिद में शीश कैसे झुका सकता है।जबकी कुरान के अनुसार कोई भी मुस्लिम खुदा के सिवा किसी के आगे शीश नहीं झुका सकता।तो मुसलमान बाबरी मस्जिद में किसके आगे सजदा करेगा।क्योंकि जाहिर है जब नाम बाबरी है तो मुस्लिम बाबर के सामने ही शीश नवायेगा।तो क्या मुसलमान बाबर को ही खुदा मानते हैं।
       जिस तरह से बाबरी मस्जिद के लिए चंदा आ रहा है।जिस तरह से लोग ईंटे लेकर वहां पहुॅंचे हैं,वो तो यही बता रहे हैं कि बाबर मेरा खुदा है।इस विषय पर मुस्लिम धर्मगुरुओं को आगे आकर स्थिति को समझाना चाहिए।ए बताना चाहिए कि बाबर खुदा नहीं है।न ही बाबरी मस्जिद को मान्यता दी जायेगी।मगर ऐसा न करके मुसलमान समाज यह मान रहा है कि बाबर ही उसका खुदा है।यह संकेत देशहित में कत्तई नहीं है।जिस तरह से मौलवी लोग मूक समर्थन दे रहे हैं।जिस तरह से अल्प समय में अरबों रुपए चंदे के रूप में आ गये।जिस तरह से मुस्लिम समाज ईंट सिमेंट लेकर लाखों की संख्या में पहुंचे हैं।वो एक विध्वंसक गतिविधि की नींव डाल रहे हैं।इसे जितनी जल्दी हो सके रोंका जाय।यह घटना एक बहुत बड़े धार्मिक उन्माद की तरफ इशारा कर रही है।समय रहते यदि इसे रोका नहीं गया तो।इसके दुष्परिणाम को रोकने में देश की आधी जीडीपी स्वाहा हो जायेगी।जैसा कि विध्वंस हुई बाबरी मस्जिद के कारण होता आया है।
       आज राम मंदिर की जगह पर अस्पताल और विद्यालय खुलवाने की वकालत करने वाले कहाॅं हैं। क्यों नहीं बंगाल के मुर्शिदाबाद में बनने वाली बाबरी मस्जिद की जगह पर अस्पताल और विद्यालय बनवाने की मांग कर रहे।यह भी बात समझ से परे है।क्या अब देश में विद्यालय और अस्पताल पर्याप्त हो गये हैं।जो बनने वाली मस्जिद पर नहीं मांग कर रहे हैं।या कुत्सित मानसिकता के चलते बकवास कर रहे थे।अभी हाल ही में बिहार में चुनाव हुआ।तो अभिनेता से नये नये नेता बने महाशय ने कहा कि भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर की कोई आवश्यकता नहीं थी। वहां तो अस्पताल या विद्यालय बनना चाहिए।वो भी आज अंधे बहरे गूंगे तीनों हो गये हैं।एक शब्द भी नहीं बोल पाते कि बाबरी मस्जिद की जगह हुमायूं भाईजान एक बढ़िया सी अस्पताल बनवाइए। मुर्शिदाबाद में उसकी बहुत आवश्यकता है।या विद्यालय ही बनवा दीजिए। नहीं कह पाते।कहते तो शायद बाबर की औलादें नाराज हो जाती।ए बाबर की औलादों की नाराज़गी मोल नहीं लेंगे।हाॅं सनातनियों की  नाराज़गी के ये परवाह नहीं करते।वह बुद्धिजीवी गैंग कहाॅं चली गई।जो राम मंदिर की जगह पर अस्पताल विद्यालय बनाने की सलाह दिन रात दिया करती थी।बंगाल में बन रही मस्जिद का विरोध न करके तथा कथित बुद्धिजीवी अपनी कुत्सित मानसिकता उजागर कर दिए।ए कुबुद्धि जीवी भी देश के लिए बहुत घातक हैं।इनकी बुद्धि बस देश को आग के हवाले करने में ही तेज है। सनातनियों में एकता न हो इसलिए तरह तरह के तरकीब बनाते रहते हैं।अभी तो एक अलग ही तरकीब लेकर आये हैं।सनातन में ही बिखराव करने का गजब का तरीका ढूंढ़ लाये हैं।कहते हैं सनातन धर्म है और हिन्दू जाति।मगर यही बात ये देशद्रोही सनातन संस्कृति के विध्वंसक किसी अन्य धर्म के बारे में नहीं बोलते।वैसे ही जैसे आज बंगाल में बन रही बाबरी मस्जिद के बारे में नहीं बोल रहे।
     मुझे एक बात ये समझ में नहीं आई कि जब मस्जिद बनाने का ऐलान हुमायूं कबीर ने किया था तो उसे रोंका क्यों नहीं गया। केंद्र और राज्य सरकारें मौन समर्थन क्यों देती रहीं।क्या अब यूपी के अयोध्या के बाद बंगाल के मुर्शिदाबाद को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की प्लानिंग हो रही है।जिसके लिए बाबरी मस्जिद की नींव को खोदने से रोंका नहीं गया। वहां चंदा कहाॅं से आ रहा है,कौन हैं वो लोग जो बुझी आग को पुनः उद्गार रहे हैं।इसकी जाॅंच क्यों नहीं की जा रही।पता तो चले देश में कितनी बाबर की औलादें हैं।जो बाबर को अपना खुदा मानते हैं।माना कि बंगाल सरकार ने आंख मूंद रखी है।पर केंद्र सरकार क्यों नहीं रोंकी।यह बात बहुत आहत कर रही है।यदि बंगाल सरकार रोकने में असमर्थ थी तो केंद्र सरकार अपने अधिकारों का उपयोग क्यों नहीं की।बाबरी मस्जिद जिस दिन गिरी थी।उसी दिन यूपी समेत देश के चार राज्यों की सरकारें गिरा दी गई थी,केंद्र सरकार के द्वारा।तो अब उसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बंगाल सरकार को क्यों नहीं गिराई। वहां मस्जिद की नींव नहीं देश के विकास की गति खोदी गई है।वहां मस्जिद का शिलान्यास नहीं हुआ है।वहां गजवा ए हिन्द की नींव रखी गई है।और भारत को दफनाने के लिए कब्र खोदी गई है।अभी भी समय है।उसे बनने से पहले ही समतल किया जाय। वर्ना वह भी एक दिन गले की फांस बनकर हम भारतवासियों के गले में फंस जायेगी।क्योंकि वो इबादतगाह नहीं देशवासियों के लिए कब्रगाह बनेगी।जिस तरह का माहौल इस समय बंगाल में बनाया जा रहा है।या बन रहा है।जिस तरह से भारतीय मौलानाओं के बिष भरे बोल सुनने को मिल रहे हैं।उस मेरा बस यही कहना है।
*मंढली*
काश्मीर की राह पर निकल पड़ा बंगाल।
तुष्टिकरण की नीति से होता नित कंगाल।।
होता नित कंगाल आम जन रोयें बिलखें।
कहते कवि जमदग्निपुरी प्रभु तेरे कैसे लेखे।।
जिनके लिए आमजन धूप छांव ना देखे।
नेतागण बलि ले उनसे करते हैं नित धोखे।।
पं.जमदग्निपुरी

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