कोकिलाबेन अस्पताल ने रचा इतिहास, रोबोटिक तकनीकी से निकाला गया विश्व का सबसे बड़ा सौम्य प्रोस्टेट
कोकिलाबेन अस्पताल ने रचा इतिहास, रोबोटिक तकनीकी से निकाला गया विश्व का सबसे बड़ा सौम्य प्रोस्टेट
मुंबई। भारतीय यूरोलॉजी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए, वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट एवं एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. संजय पांडे ने विश्व का अब तक का सबसे बड़ा सौम्य (बेनाइन) प्रोस्टेट रोबोटिक सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक निकाला है। अत्याधुनिक, उच्च-सटीकता वाली न्यूनतम इनवेसिव तकनीक से किए गए इस ऑपरेशन में 550 ग्राम से अधिक वजन वाली ग्रंथि को मात्र 2 घंटे 55 मिनट में सुचारू रूप से हटाया गया।
तुलना हेतु, विश्व में अब तक रोबोटिक तकनीक से निकाला गया सबसे बड़ा प्रोस्टेट कैंसर 560 ग्राम (अमेरिका) दर्ज हुआ था, जबकि भारत में सबसे बड़ा बेनाइन प्रोस्टेट 437 ग्राम था। रोगी, जो अत्यधिक बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण गंभीर मूत्र अवरोध और जटिलताओं से जूझ रहे थे, ने Da Vinci Xi रोबोटिक सिस्टम की मदद से रोबोटिक फ्रेयर प्रोस्टेटेक्टोमी करवाई। अत्यधिक आकार और जटिल एनाटॉमी के बावजूद यह सर्जरी अद्भुत सटीकता, अत्यल्प रक्तस्राव और उत्कृष्ट प्रारंभिक रिकवरी के साथ पूरी की गई, जो विशेषज्ञ हाथों में उन्नत रोबोटिक तकनीक की क्षमता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
डॉ. संजय पांडे, (निदेशक यूरोलॉजी ) ने कहा कि यह उपलब्धि केवल एक शल्य-मील का पत्थर नहीं है—यह इस बात का प्रमाण है कि भारत में रोबोटिक यूरोलॉजी कितनी तेजी से आगे बढ़ी है। हमारा उद्देश्य हमेशा सुरक्षित सर्जरी, तेज रिकवरी और हर जटिल रोगी के लिए बेहतर दीर्घकालिक परिणाम सुनिश्चित करना है।इस कार्य में ग्रंथि को कैप्सूल से पूर्णतः निकालने, ग्रंथि को रक्तहीन करने के बाद उसे दो भागों में विभाजित कर पेट में पहुंचाने, तथा कैमरा पोर्ट के माध्यम से बिना कोई नई चीरा लगाए दोनों हिस्सों को अलग-अलग बैग में बाहर निकालने जैसी महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचार शामिल थे। इस प्रकार यह वास्तव में पूरी तरह से न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी सिद्ध हुई।
इतने विशाल स्तर की इस सफल प्रक्रिया ने कोकिलाबेन अस्पताल की प्रतिष्ठा को एक राष्ट्रीय अग्रणी केंद्र के रूप में और सुदृढ़ किया है, विशेषकर जटिल रोबोटिक यूरोलॉजिकल सर्जरी में।
बेनाइन और रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलॉजी में डॉ. पांडे की विशेषज्ञता तथा बड़े आकार की ग्रंथियों (150–310 ग्राम) को रोबोटिक पद्धति से हटाने का दो दशक का अनुभव इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण रहा।
73 वर्षीय पेसमेकर वाले मरीज में अत्यधिक रक्तवाहिनी संरचना वाले संकुचित क्षेत्र में डिसेक्शन कर इतनी बड़ी ग्रंथि को बिना बाहरी चीरा लगाए हटाना अपने-आप में असाधारण कौशल और तकनीकी नवाचार का उदाहरण है। बहुत बड़े प्रोस्टेट को न्यूनतम इनवेसिव रोबोटिक तकनीक से हटाना वास्तव में एक यूरेथ्रा-संरक्षण (urethral sparing) पद्धति है, जिससे संभावित जटिलताएँ न्यूनतम हो जाती हैं।
सभी पुरुषों के लिए प्रोस्टेट अवरोध और उसके प्रभावों की समय पर पहचान अत्यंत आवश्यक है—जिसे डॉ. पांडे के ड्रीम प्रोजेक्ट www.savethebladder.com
के माध्यम से स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है। रोगी अब अच्छी तरह स्वस्थ हैं, न्यूनतम postoperative असुविधा के साथ सामान्य जीवन में लौट चुके हैं।
प्रोस्टेट उपचार में हुए इन तकनीकी परिवर्तनों ने चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, जिससे विभिन्न आयु वर्ग के पुरुषों को शीघ्र और पूर्ण रिकवरी के साथ उपचार उपलब्ध हो रहा है।
यह ऐतिहासिक सर्जरी, सिद्ध तकनीक के बीच नैतिक और युगांतरकारी संकेत स्थापित करते हुए, विश्वभर में मरीज-देखभाल पर गहरा प्रभाव डालने वाली एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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