*खाद मिलइ न समय पे पानी, केहिं विधि करइ किसान किसानी*
*खाद मिलइ न समय पे पानी, केहिं विधि करइ किसान किसानी*
भारत सरकार किसान के लिए तमाम योजनाएं बनाती है।पर उसका लाभ किसान को जब समय पर न मिले तो क्या फायदा। गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।
समय गये पुनि का पछताने।
का बरषा जब कृषी सुखाने।।
जब धान की फसल की रोपाई होती है तब नहर में पानी नहीं रहता।जब खाद की जरूरत पड़ती है तो खाद नहीं मिलती। किसान खेती करे तो करे कैसे।जब पानी और खाद उसे समय पर नहीं मिलेगी तो,बाद में मिल कर क्या करेगी। बुजुर्गों ने एक कहावत कही है।रहठा में यूरिया पानी डालने से वह हरा नहीं होगा।कहने का तात्पर्य ये है कि असमय खेती करने का कोई औचित्य नहीं है।उसमें मेहनत और खर्च दोनों मिट्टी में मिल जाता है।फूल लगने के समय यदि बुवाई होगी तो वह बुवाई और मेहनत किस काम की।यह किसान के साथ अन्याय कब बंद होगा।
सरकार खाद की कालाबाजारी न हो इसके लिए कोटा व्यवस्था लागू की है।सबको कम दाम में खाद मिले। इसलिए मूल्य तय की है।पर हो उल्टा रहा है। बहुत से ऐसे कोटेदार हैं जो कालाबाजारी कर रहे हैं।खाद रहते हुए स्टाक खत्म हो गया है।कहके सटर बंद कर देते हैं।फिर पीछे के दरवाजे से सौ दो सौ रुपए ऊपर से लेकर बेचते हैं।दिन भर लाईन लगाने वाला किसान सिर्फ लाईन में लगा रह जा रहा है।इस समस्या पर सरकार कब ध्यान देगी। बहुत से किसान ऐसे हैं जिनको बहुत जलालत झेलनी पड़ती है।थक हार कर बेचारे भगवान भरोसे हो जाते हैं।कितने तो खेती करने से हांथ उठा देते हैं।खाद सस्ती ही रहके क्या करेगी।जब समय पर मिलेगी ही नहीं।किसान किसी तरह पानी की व्यवस्था कर लिया तो खाद ही नहीं मिल पाती।जिससे उसका पानी का पैसा भी मिट्टी में ही मिल जाता है।यदि सचमुच सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है तो,समय पर खाद और पानी समुचित ढंग से बिना परेशानी के किसान को उपलब्ध कराने की उचित व्यवस्था करे।जब पानी की जरूरत होती है तो नहर में पानी नहीं।जब खाद की जरूरत होती है तो दुकान पर खाद नहीं।जब किसान की खेती खाद और पानी के बिना नहीं हो पाती तो किसान की आंख से पानी नहीं खून टपकता है।इस स्थिति से किसान कई बार असहाय बनकर दो चार होता है।कभी जंगली सुवर खेती उजाड़ देते हैं।तो कभी नीलगायें सत्यानाश कर देती हैं तो कभी प्रकृति का प्रकोप सब तवाह कर देता है।इसके बावजूद भी किसान हिम्मत नहीं हारता।अपना खून पसीना बनाकर खेत में बहाता है।इसके बावजूद जब खाद और पानी समय पर न मिले तो किसान की हालत समझ सकते हैं कि उसके दिल पर क्या बीतती है।जैसे जवान लड़के की मृत्यु हो जाय।वही तकलीफ सबकुछ रहते खाद और पानी के लिए बरवाद होते देखता और सहन करता है।इस तकलीफ से किसान भाइयों को सरकार कब निजात दिलवाएगी।
अभी आलू रोपने का समय है।गोदाम पर खाद नहीं है।दुकान खाद विहीन है।नहर में पानी नहीं है।नलकूप भी जवाब दे रहे हैं।अब किसान चलो पानी की व्यवस्था पम्प सेट आदि से कर भी लिया तो,खाद ही नहीं है।अब बगैर खाद के बुवाई करे तो कैसे।यदि कर भी दिया तो फसल ही कायदे की नहीं होगी।आज जमीन भी किसान का साथ नहीं दे रही हैं।माना कि इसमें किसान का भी थोड़ा दोष है।किसान कम्पोस्ट खाद आज तैयार ही नहीं कर रहा।जिससे खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है।सभी किसान अब युरिया और डाई पर निर्भर हो चुके हैं।खेत में अधिक उपज मिले,इसके लिए उर्वरक का अधिक प्रयोग कर खेत की उर्वरा शक्ति कमजोर कर दिए हैं।जैसे मानव शुगर बीपी की दवा खाना शुरू किया तो उसको हर वर्ष दवा की खुराक बढ़ानी पड़ती है।वैसे ही अब खेत हो गये हैं।जब तक विगत वर्ष से थोड़ी अधिक खाद न डालो तो फसल ही कमजोर हो जाती है। इसलिए जब हालात ऐसे बन गये हैं तो सरकार को चाहिए कि किसानों को समय पर खाद पानी की समुचित व्यवस्था करे।जिससे किसानों में उत्साह बढ़े।खेती करने से पीछे न हटें। लेकिन यदि ऐसे ही हालात बने रहेंगे तो, किसान कब तक अपने उत्साह को बरकरार रख पायेंगे। इसलिए सरकार को चाहिए कि इस विषय पर गंभीरता से विचार कर व्यवस्था दुरूस्त करें।और यह सुनिश्चित करे कि सबको चाहे छोटा किसान हो चाहे बड़ा। पर्याप्त मात्रा में खाद पानी मिले।जिससे लोग खेती की तरफ से मुॅंह न मोड़ें।वैसे ही प्रकृति खिलवाड़ कर रही है।ऐसे में यदि सरकार भी खिलवाड़ करेगी तो किसान तो कहीं का भी नहीं रहेगा। सरकार से आग्रह है समय को ध्यान में रखते हुए समय पर खाद और पानी किसान को दे।
पं.जमदग्निपुरी
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