*स्वक्षता अभियान की धज्जियां उड़ाते लोग,अंधा बना प्रशासन*
*स्वक्षता अभियान की धज्जियां उड़ाते लोग,अंधा बना प्रशासन*
2014 जब से केन्द्र में मोदी की सरकार बनी है तब से अगर सबसे अधिक जोर और प्रचार रहा है तो वह है स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत।मगर दोनों ही सफेद हांथी ही साबित हो रहे हैं।नगर हो महानगर हो चाहे गांव, हर जगह लोग खुले में शौच कर रहे हैं।कुछ जगहों पर मजबूरी है तो,कुछ जगहों पर लोगों की उदंडता। दोनों जगहों पर शासन प्रशासन अंधा बना हुआ है।आज लगभग बारह वर्ष होने जा रहे हैं।फिर भी कई नगर महानगर ऐसे हैं जहां लोग सुलभ शौंचालय से कोसों दूर हैं। इसलिए खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।कई गांव ऐसे हैं जहां शौचालयों में लोग बकरियां बाॅंध रहे हैं।और शौच खुले में कर रहे हैं।मैं जिस गाॅंव का निवासी हूॅं उसके बगल के गाॅंव में अभी तक इज्जत घर नहीं बना है।वहाॅं लोग मजबूर हैं।लेकिन जिस गाॅंव का मैं निवासी हूॅं उस गाॅंव में सबको इज्जत घर मिला हुआ है।फिर भी लोग सड़कों पर मल त्याग कर रहे हैं।जिस सड़क पर महिला बच्चे पुरुष मिलकर मल त्याग कर रहे हैं।उस सड़क पर चलना दूभर हो गया है।लोग बोल इसलिए नहीं पा रहे कि सबके सब दलित हैं।एस सी एस टी के भय से लोग तो लोग,वोट के भय से ग्राम प्रधान नहीं रोक पा रहे न बोल पा रहे हैं।ये हाल जब हमारे गांव सहिजदपुर बरहता मछलीशहर जौनपुर की है तो, ऐसे ही हालात और जगहों के भी होंगे।
स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का सपना संजोए भारत सरकार हर वर्ष भारी भरकम बजट पास करती है।भारत स्वच्छ रहे इसके लिए सफाई कर्मचारी की नियुक्ति कर रखी है।सफाई कर्मचारी काम ढंग से करें इसके लिए एक विभाग बना रखा है। जिसमें तमाम अधिकारी हैं,जो सफाईकर्मी को ताड़ते रहें।उन पर सरकार करदाताओं का करोंड़ों रूपये खर्च कर रही है।इसके बावजूद भी नतीजा ये है कि चाहे नगर हो महानगर हो चाहे गाॅंव हो हर जगह गंदगी व्याप्त है।दलित लोग एस सी एस टी का रौब दिखाकर सड़कों पर बड़े रुआब से मल त्याग कर रहे हैं।लोग देख कर चुप हैं।एस सी एस टी के भय से बोल नहीं पा रहे।प्रशासन अंधा बना हुआ है। इज्जत घर बकरी शाला बना हुआ है।सड़कें शौचालय बनी हुई हैं।स्वच्छ रहने वाले भीषण गंदगी के या यूं कहें कि दलितों के मल के मध्य चलने को को लाचार बेबस मजबूर हैं।
नगर महानगर में तो कुछ ठीक है।वहाॅं सफाई कर्मचारी कुछ तो काम कर रहे हैं।मगर ग्रामीण क्षेत्रों में सफाईकर्मी सिर्फ पगार ले रहे हैं।काम कुछ नहीं कर रहें हैं। सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।और सफाई कर्मचारी के लिए उसी का चयन करना चाहिए,जो उसके काबिल हो।स्वर्ण सफाईकर्मी तो बन जा रहे हैं,मगर सफाई नहीं करते।ऐसे लोगों पर सरकार स्वस्फूर्त संज्ञान लेकर व्यवस्था को दुरुस्त करे। सड़कों पर या खुले में शौच करने वाले लोगों पर उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। सफाईकर्मियों पर निगाह रख उनसे काम ले।उनको ए अधिकार भी दे,जो भी खुले में शौच करता मिले उसे दंडित करे।तब जाकर व्यवस्था दुरुस्त होगी।केवल भारी भरकम बजट पास करके सरकारी कर्मचारीयों की तिजोरी भरने से न भारत स्वच्छ होगा न स्वस्थ होगा।सारे प्रचार सिर्फ प्रोपेगंडा ही साबित होंगे।जो अब तक हो रहे हैं।शासन प्रशासन से आग्रह है कि करदाताओं का ध्यान रखते हुए उनके स्वास्थ्य के साथ उनकी सुविधाओं के साथ खिलवाड़ न करे।
करदाताओं का आखिर इसमें क्या दोष है।वो तो इमानदारी से कर भी दे रहे हैं।और सरकार द्वारा घोषित हर नियमों का पालन भी कर रहे हैं। स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत हो इसके लिए वो खुले में न तो शौच कर रहे हैं न ही गंदगी कर रहे हैं।फिर भी सभी सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं क्यों?आखिर सरकार कब ख्याल करेगी करदाताओं का।
सरकार की कुछ ग़लत नीतियों के चलते आधी से अधिक आवादी त्रस्त है।त्रस्त इसलिए है कि दलितों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी उनका जीना मुश्किल कर दिया है।जो भी सड़क दलित नगरी से गुजरती है।उसके आस पास दलित लोग मल त्याग करके उसकी दुर्दशा कर रखे हैं।वाहन से निकल गये तब तो शीघ्रता हो जाती है।मगर यदि पैदल हैं तो,उसको पार करना अब क्या कहूॅं नरक के समान कष्ट उठाना पड़ता है। सरकार से निवेदन है कि एक नियम यह भी बनाये,की सड़कों पर मल त्याग करते जो भी पकड़ा जाएगा, चाहे वह दलित ही क्यों न हो,उस पर एस सी एस टी ऐक्ट से भी कठोर नियम लागू होगा।और रिपोर्ट दर्ज कराने वाले को पुरस्कृत किया जाएगा।तब जाकर स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत का सपना साकार होगा।और सफाई कर्मचारी पर भी नकेल लगाना अति आवश्यक है। सरकार यह सुनिश्चित करे कि जो भी सफाई कर्मचारी ढंग से अपना काम नहीं करेगा,उसे सेवामुक्त कर दिया जायेगा।बिना किसी हीलाहवाली के।वर्ना ऐसे ही लोग स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ाते रहेंगे।और करदाता ऐसे ही नाक बंद करके दुखी रहेगा।
पं.जमदग्निपुरी
सुन्दर प्रस्तुति
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