*शोर बहुत जोर है चुनाव आयोग चोर है*

*शोर बहुत जोर है चुनाव आयोग चोर है*
      आज कल भारत में एक बात का शोर बहुत जोर है,वो ए कि चुनाव आयोग चोर है।जब से भाजपा देश के शीर्षासन पर बैठी है।तबसे विपक्षी जैसे बौखलाये से हैं।वो सरकार को घेरने की बजाय सरकारी संस्थाओं को बदनाम करने में लगे हैं।जनता को १९७०-७५ वाला समझ रहे हैं।यही समझकर अपनी चोरी छिपाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए ईडी,सीबीआई, आईटी,अदालत,पुलिस,सेना सबके ऊपर आरोप लगा लगा के बदनाम कर रहे हैं।हुड़दंग कर देश की रफ्तार को कम करने में लगे हैं।मगर हर बार असफल हो जा रहे हैं।जिस भी मुद्दे को ये लोग लेकर अदालत में चुनौती पेश किए।औंधे मुॅंह गिरे।दाॅंत भी कई बार तुड़वा लिए।इसके बावजूद भी शिद्दत से भारतीय संस्थानों को लेकर जन मन में तरह तरह के भ्रम फैलाने में लगे हैं। आज का विपक्ष २०१४ से लेकर आज तक एक भी ऐसा मुद्दा नहीं उठाया है,जिसका जनता से कोई सरोकार रहा हो। उठाया है तो बस भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए ईडी सीबीआई आईटी के खिलाफ।काफी दिनों तक भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए संसद सड़क जाम किए।देश की प्रगति में बाधक बने।आजतक आज का विपक्ष अपना कोई भी जन विरोधी मुद्दा साबित नहीं कर पाया।हर बार फेल।ऐसा लगता है जैसे विपक्ष फेल होने के लिए ही है।मजे की बात ये है कि फेल होने के बाद भी इनमें पास होने की ललक कभी भी देखने को नहीं मिली।कारण यही रहा कि बीज गणित की जगह रेखा गणित की परीक्षा दे रहे हैं।अब बीज गणित की जगह रेखा गणित की परीक्षा देंगे तो कैसे पास होंगे।ये भूल रहे हैं कि पहले जैसे अब परीक्षक नहीं हैं।अब के परीक्षक प्रबुद्ध हो चुके हैं।अब बीज गणित का नं.बीज गणित को ही हल करके मिलेगा।न की रेखा गणित हल करके मिलेगा।भूल जाइए १९७० वाला परीक्षक।जब बीज गणित का फल रेखा गणित से मिल जाता था।अब परीक्षा की काॅपी की जाॅंच होती है।वह भी गहनता से।फिर भी विपक्ष है कि मानता ही नहीं।बार बार हर बार वही गलती करता आ रहा है।जिससे वो बार बार हर बार केवल फेल होता है।कभी भी बीज गणित को समझने की कोशिश नहीं कर रहा।और रेखा गणित के सहारे आगे बढ़ रहा है।
          उसी रेखा गणित की लकीर को और लम्बी कर उत्पात मचाये हुए हैं।अब सबको छोड़कर चुनाव आयोग को चोर बता रहा है। ईवीएम का पीछा छोड़ अब चुनाव आयोग को चोर कह रहा है।रोज एक बड़ा सा कागज का बंडल लेकर अपने चमचों को दिखा रहे हैं।देखो देखो ए चुनाव आयोग वोट चोरी कर रहा है।अभी तक ईवीएम मशीन खराब थी।अब चुनाव आयोग।इनकी बचकानी बातें हरकतें देख सुनकर हॅंसी आती है।मजे की बात ये है कि यह सब इन्हें तब नजर आया जब चुनाव आयोग बिहार में वोटर लिस्ट की जाॅंच शुरू की।जब जाॅंच में मृत लोगों को हटाया जाने लगा। अवैध वोटर आईडी पकड़ी जाने लगी। अवैध नागरिकता की पहचान कर उनके नाम हटाये जाने लगे।तब इनके पेट में पीड़ा शुरू हुई।इंडी गठबंधन में कितना विरोधाभास है।एक जाॅंच रुकवाना चाहता है।यह कहकर की लोगों के वोट काटे जा रहे हैं।एक जाॅंच करवाना चाहता है।यह कह कर कि चुनाव आयोग सरकार के कहने पर वोट बढ़ाकर जीत हासिल कर रहा है।इसीलिए संसद से सड़क तक उत्पात कर रहा है।और रट्टू तोता जैसे बस एक ही बात बोल रहा है।कि चुनाव आयोग चोर है। चुनाव आयोग ने कहा कि यदि हमने वोट बढ़ाई है तो डाटा के साथ हलफनामा दाखिल करिए।मगर विपक्ष हलफनामा न देकर बस चुनाव आयोग चोर है।का नारा लगा रहा है।कि हम तो न अदालत जायेंगे न हलफनामा दाखिल करेंगे।बस देश की ऐसी-तैसी करेंगे।इस पर मेरा कहना है,
"नहीं अदालत जायेंगे ये,केवल शोर मचायेंगे।
संसद सड़क को जाम किए, केवल मूर्ख बनायेंगे।।
चोर की दाढ़ी में तिनका,कर रहे कहावत सिद्ध।
चोर चोर मौसेरे भाई,मिलकर उत्पात करायेंगे"
मतलब ये कि इनके पास कोई न तो सबूत है,न ही मुद्दा। अदालत इसलिए नहीं जा रहे कि वहाॅं सजा हो सकती है।इसलिए संसद और सड़क पर ही डटे रहो। दूरदर्शन पर जमे रहो।जनता की नजर में बने रहो।और चमचों को काम पर लगाये रहो।देश और आमजन को अपने कुकृत्यों में उलझाये हलकान करते रहो।भूल रहे हैं कि आज की प्रबुद्ध जनता सब देख सुन समझ रही है।और १९४७ से लेकर अब तक की तत्कालीन सरकार की चोरियों को जनता के सामने ला रही है,खोज खोजकर।और विपक्ष खीझ खीझकर देश के संस्थानों को कभी चोर कहता है तो कभी प्रबुद्ध जनता को राक्षस आदि कहके अपनी मिट्टी पलीद करवा रहा है।
        अब इस वोट चोरी वाले स्टंट पर जनता भ्रम में हैं कि वोट हम सब तो बराबर देते हैं।फिर हमारी वोट चोरी कैसे हो गई।हाॅं वोट चोरी हुई थी १९४७ में जब एक भी वोट न पाकर जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे।जब इंदिरा गांधी वोटर चोरी करके चुनाव जीती थीं।जिसे अदालत ने कैंसिल कर दिया था।तब संविधान की हत्या भी हुई थी।वोट चोरी ७०-८०के दशक में जबरदस्त होती थी।तब हम घर से भी नहीं निकलते थे।और हमारी वोट पड़ जाती थी।बूथ के बूथ लूट लिए जाते थे।हारे हुए या यूॅं कहें कि बगैर जनता की वोट के ही सांसद विधायक आदि बन जाते थे।जब भी आम चुनाव आता था वोट लुटेरे सक्रिय हो जाते थे।और आम वोटर घर में छिपे रहते थे।आज जो शोर मचा रहे हैं चुनाव आयोग वोट चोरी कर बेचता है।ये वही लोग हैं जो वोट लूटते व लुटवाते थे।ये वही लोग हैं जो रेखा गणित की परीक्षा देकर बीज गणित में टाप करते थे।आज समय बदल गया है।इसलिए एक कहावत है।"
"चोर को सभी चोर नज़र आते हैं।
चोर चोर मिलकर शोर खुब मचाते हैं।।
समय बदल गया है तरीका भी  बदल गया।
सबकुछ बदला चोला न बदला बरगलाते हैं 
पं.जमदग्निपुरी

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