आज कजरी तीज है
आज कजरी तीज है
पहले गाॅंव में बहने जरई उगाती थी।आज के दिन तालाब नहर नदी आदि में उसे डुबाती थीं।मिट्टी का गोला जिसमें जरई उगाती थी उसे जल में फेंक देती थी। और जरई को अपने भाईयों की शिखा यानी चूनी में बाॅंधती थी।इसके बाद झूला झूलना समूह में कजरी का गायन आदि करती थीं।आज न ताल है न शिखा है।न जरई है न कजरी है।न पेड़ है न झूला है।हम सब अपनी लोक परम्पराओं को तिलांजलि दे पश्चिम के पर्व को महत्व देने लगे हैं।जिससे हम सबका सांस्कृतिक ह्रास हो रहा है। संस्कृति पुनर्जीवित हो इसके लिए हम प्रयासरत हैं।अपनी लोक विधाओं और परम्पराओं से आने वाली पीढ़ी अवगत हो। इसीलिए यह कजरी आप सबके समक्ष प्रस्तुत है।
*दानी बलि*
महावीर बलि प्रण खुब प्रचंड किए।
राज सब अखण्ड दिए ना-२
तीनों लोकों पर था राज,करते थे सुघर सब काज-२
दानवीर तीनों लोकों में प्रचंड हुए,राज सब अखण्ड दिए ना।।
महावीर बलि प्रण-------
देवता भय से भयभीत,रहते थे सदा विनीत-२
इसीलिए हरि जी उनसे अप्रसन्न हुए,राज सब अखण्ड लिए ना।।
महावीर बलि प्रण-------
यज्ञ किए शानदार,दान दिए खुब अपार-२
दान लेने हरि जी द्वार उनके ठाढ़ हुए,वामन अवतार लिए ना।।
महावीर बलि प्रण-------
राजन मैं हूॅं दीन हीन,दे दो तीन पग जमीन-२
दान देने को बलि जी संकल्प लिए,हरि ना विकल्प दिए ना।।
महावीर बलि प्रण-------
गुरु जी रोंके बार बार,बलि जी तोड़े ना करार-२
दान दे दिए सब तनिक ना विचार किए,राज निर्विकार दिए ना।।
महावीर बलि प्रण-------
नाप लिए बिना रोक,ढाई पग में तीनों लोक-२
बचा आधा पग तन तक भी दान किए,बिना अनुमान किये ना।।
हरि जी बोले खुश होकर,मांगु पुत्र हमसे बढ़कर-२
बलि जी चतुराई से हरि को ही बाॅंध लिए,तीनों लोक साध लिए ना।।
महावीर बलि प्रण खुब प्रचंड किए,राज सब अखण्ड दिए ना।।
पं.जमदग्निपुरी
कजरी तीज की सभी देश वासियों को काव्यसृजन परिवार मुम्बई की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🌹🌹
धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर