*कलाकारों की दुनियां खैरागढ़ के रत्न फेस बुक पेज पर सावन सोनी के प्रश्न**एक मुलाकात राज्य पाल शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षक**नशा मुक्ति प्रचारक तुलेश्वर कुमार सेन से उनकी संघर्षों की कहानी उन्हीं की जुबानी*
*कलाकारों की दुनियां खैरागढ़ के रत्न फेस बुक पेज पर सावन सोनी के प्रश्न*
*एक मुलाकात राज्य पाल शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षक*
*नशा मुक्ति प्रचारक तुलेश्वर कुमार सेन से उनकी संघर्षों की कहानी उन्हीं की जुबानी*
खैरागढ़ छुईखदान गंडई _वर्तमान में पदस्थ शाला शासकीय प्राथमिक शाला पुरेना संकुल केन्द्र घिरघोली विकास खंड छुई खदान जिला केसीजी के अलग अलग स्कूलों में सेवा देते हुए एक पैर से दिव्यांग शिक्षक तुलेश्वर कुमार सेन ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है आज दिनांक 27/06/2025 दिन शुक्रवार को शाम सात बजे खैरागढ़ के रत्न कलाकारों की दुनियां स्टूडियो में सावन सोनी के साथ विशेष बातचीत किए हैं अपने विद्यार्थी जीवन के संघर्षों को विस्तार से बताया और उसके बाद नशा मुक्ति अभियान से कैसे जुड़े और समाज में क्या परिवर्तन चाहते हैं लोगों को नशा मुक्त होकर जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं युवाओं को भविष्य की चिंता और पारिवारिक जीवन हेतु जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के लिए प्रेरित करते हुए क्या कहते हैं स्टूडियो में आमंत्रित करने के लिए कलाकारों की दुनियां स्टूडियो और समस्त संचालकों को के साथ सावन सोनी जी को बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित किए उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी वे दिन भी क्या थे याद करो तो कभी खुशी कभी कम कह सकते हैं क्योंकि कुछ बातें होठों पर हँसी ले आते हैं तो कुछ बातों से आँखों में आँसू आ जाते हैं।
मेरा जीवन पूरी तरह संघर्षों से भरा रहा इसका एक कारण एक पैर से दिव्यांग होना रहा बचपन में कोई एक साल का रहा होगा उसी समय मेरा पैर पोलियों से ग्रसित हो गया था परिवार वाले बहुत इलाज कराया परंतु सफलता नहीं मिली ।बैशाखी के सहारे चलने का प्रयास चला और यही मेरा सहारा बन गया जिसके बाद हर पल चुनौती को स्वीकार करना पड़ता था कुछ लोग ही सम्मान से बात कर लेते थे बाकी लोग हमेशा आलोचना या निराशा वाली बातें करते थे ।कभी कभी मन में कई बार अपने आपको खत्म कर देना चाहिए ऐसा विचार भी मन में आता था परंतु वह समस्या का समाधान नहीं था।फिर अंदर से प्रेरणा मिली क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों के बीच में अपना अलग पहचान बन जाए जो लोग आज आलोचना कर रहे हैं वह प्रशंसा करने पर मजबूर हो जाएं।
पढ़ाई में होशियार रहा परंतु कई बार आर्थिक स्थिति मजबूरी बन जाता था खैर एक रास्ता बंद होता है तो कुछ समय बाद दूसरा खुल भी जाता था इसी तरह संघर्ष चलता रहा।आठवीं के बाद पैसा नहीं होने के पढ़ाई छूटने वाली थी परंतु उसी समय कोई नया चमत्कार हो गया।गांव में गायत्री मंदिर था सुबह शाम प्रसाद के लालच में जाता था तो पूरा पूजा विधि विधान का ज्ञान हो गया था।उस समय मुझे पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए था उन लोगों को मंदिर में पुजारी बस दोनों के बीच समझौता हो गया उस मंदिर का पुजारी बन गया बदले में पैसा मिलने लगा दोनों पार्टी का काम चलता रहा।बारहवीं तक की पढ़ाई पूर्ण हो गई।पढ़ाई के साथ गांव में सब्जी लाकर अपने ट्राइसिकल से बेचता था। नाई परिवार से संबंध रखता हूं तो गंवई और सेलून में हजामत भी बनाता था।
इसी बीच मंदिर के पैसे और छात्र वृत्ति के पैसों को मिलकर यासिका कैमरा खरीदा और फोटो ग्राफी का काम सीख गया अब अच्छा आवक होने लगा आगे पढ़ना चाहता था। बी टी आई खैरागढ़ में मेरा चयन हो गया है उसके बाद ट्रेनिग किया और हॉस्टल में रहता था।वहां केवल एक कमरा मिला था बाकी सारा काम अपने हाथों से करना पड़ता था समय निकाल कर वहां भी सेलून जाता था।पढ़ाई पूरी हो गई इस पढ़ाई को पूरा कराने के लिए बहुत सारे लोगों ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग प्रदान किए थे।जिसमें सर्व स्व०श्री अनिल शुक्ला जी पूर्व जनपद अध्यक्ष,पुरोहित सर जी, बी आर जोशी जी, रतन यादव जी,धनेश पाटिला जी,सुश्री साधना अग्रवाल जी,सुश्री डी मिश्रा मैडम जी,सुंदर सिंह मरकाम जी, धरम चंद लूनिया जी, बाबा श्री देवव्रत सिंह जी,श्री लाल श्रीराज सिंह जी,श्री गणपत दुबे जी,श्री वीरेन्द्र दुबे जी सरपंच घुमका आदि।
एक घटना और है जब मैं कक्षा दसवीं में पढ़ता था तब तक मेरे घर में बिजली नहीं लगी थी।बहुत संघर्ष करता रहा ।जब मैं कक्षा दसवीं में 58.6 प्रतिशत लेकर पास हुआ तो सीधा उस समय के वर्तमान ऊर्जामंत्री माननीय श्री धनेश पाटिला जी से घुमका विद्युत आपूर्ति वितरण केन्द्र के उद्घाटन कार्यक्रम में जाकर मिला और निवेदन किया कि सर मैं एक दिव्यांग हूं और पढ़ाई में भी होशियार हूं अब तक मेरे घर में बिजली नहीं लगी है।उन्होंने तुरंत विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया इसे तत्काल कनेक्शन दिया जाए।तब कुछ दिन के अंदर कनेक्शन दिया गया।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान खैरागढ़ में डी एड के लिए मेरा चयन हुआ तो बहुत खुशी हुई तीन दिन के अंदर जाकर ज्वाइन करना था।परंतु पास में पैसा नहीं था तब जन सहयोग लेने का मन में निश्चय किया और जितने भी जान पहचान के शिक्षक, मित्रगण साथी,जन प्रतिनिधिगण,रिश्तेदार सब से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग लिया।यथा शक्ति सभी ने सहयोग किया । वर्तमान में जितना हो सका मिला उन पैसों को लेकर प्रशिक्षण प्रारंभ किया । उसके उस समय के वर्तमान प्रधान मंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी को आर्थिक सहायता के लिए पत्र लिखा ।परंतु आवेदनों के मायाजाल ने इतना भरमाया पूछो ही मत।ग्राम पंचायत,जनपद पंचायत,पटवारी कार्यालय,तहसीलदार, एस डी एम कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय आदि बस घूमता रहा।
अंत में थक हार कर जनपद पंचायत राजनांदगांव में श्री अनिल शुक्ला जी जनपद अध्यक्ष/उपाध्यक्ष से मिला तो उन्होंने तुरंत विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया की जब तक इनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो जाती है तब तक हर महिना पांच सौ रुपया दिया जाएगा।अगर मेरा कार्यकाल खत्म हो जाए तब भी सभी अधिकारी कर्मचारी इनका मदद करेंगे इनकी पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए और डी एड पूरा होते तक दिया भी।
पढ़ाई करके वापस आया तो नौकरी के लिए संघर्ष करता रहा।इसी बीच कुछ अनैतिक कार्य अवैध गांजा, शराब, सट्टा व्यापार करने वालों ने मुझसे संपर्क किया अरे नौकरी का चक्कर छोड़ो हमारे साथ मिल जाओ बहुत पैसा मिलेगा और पुलिस भी नही पकड़ेगा ऊपर से नीचे तक सब कमीशन पर चलता है ।मैने साफ मना कर दिया भले ही नौकरी न मिले परंतु गलत काम नही करूंगा। भूख मरूंगा तो भीख मांग लूंगा।कुछ दिन की बात है।उसके बाद कोई न कोई रास्ता खुल जाएगा।
डी एड पूरा होने के बाद अपने गांव सलोनी के स्कूल में एक साल तक नि:शुल्क पढ़ाया ।कई जगह फार्म भरे परंतु कहीं पर नौकरी नहीं लगी।अंत में तक हार कर बिजनेस करने का फैसला बनाया बहुत प्रयास के बाद बहुत उतार चढ़ाव के बाद बैंक से लोन लिया दुकान शुरू हुआ परन्तु दो तीन महीना बाद ही दुकान में ताला तोड़कर पूरा सामान चोरी हो गया।अब आत्म हत्या के अलावा कोई स्थान नहीं था क्योंकि बैंक का लोन था।फिर भी प्रयास जारी रखा और उसी बीच भगवान को कुछ और मंजूर था मेरी नौकरी बीहड़ वनांचल जंगल अंदर लगा जहां पर आजादी के साठ साल बाद भी कोई सुविधा नहीं थी।मात्र सरकारी तीन बोरिंग और बिजली के खंभे थे।स्कूल आंगनबाड़ी नही था।न ही बस रोड,मोबाइल कुछ भी नहीं।समय आने पर सायकल वाले भी बमुश्किल से मिलता था।पैदल ही चलना पड़ता था।बस के लिए दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था।संकुल आठ किलोमीटर चलना पड़ता था ।आदिवासी बैगा और गौड़ जनजाति का चालीस घर का पूरा परिवार था ।पुरुष,महिला,बच्चे सब शराब का सेवन करते थे।बहुत संघर्ष रहा परंतु तीन साल में उस गांव का काया कल्प कर दिया जिस घर में रहता वही मेरा स्कूल और निवास था जहां सारी गतिविधियां संचालन करने लगा। साप्ताहिक दीप यज्ञ,नशा मुक्ति अभियान,बाल संस्कार शाला, गांव में रामायण मंडली,स्वच्छता अभियान,प्रभात फेरी,शिक्षा में गांव के महिला पुरुष को पढ़ना और आकाशवाणी रायपुर के कार्यक्रम से जोड़ना।आज वहां के बच्चे कालेज में पढ़ रहे हैं।मैं तो तीन बस वहां रहा उसके बाद पैलीमेटा आ गया वहां।इसी तरह कार्य किया।शिक्षा,साहित्य,समाज सेवा शिक्षा में नवाचार वहां पर तेरह साल रहा ।अब प्रधान पाठक बनकर पुरेना आ गया हूं वहां भी यही सब कार्य कर रहा हूं ।इसके अतिरिक्त साहित्य लेखन,आकाशवाणी में प्रस्तुति,लघु फिल्मों में काम करना,प्रतिदिन मीडिया समाचार प्रिंट ,इलेक्ट्रानिक कवरेज करना अपनी आवाज देना।सभी प्रकार के मंच संचालन में सहभागिता प्रदान करना।इसी तरह के छोटे छोटे कामों ने आज मुख्य मंत्री शिक्षा दूत गौरव अलंकरण,राज्य पाल शिक्षक सम्मान,छत्तीसगढ़ राज्य गौरव सम्मान,अग्रदूत सम्मान,श्रेष्ठ और आदर्श शिक्षक सम्मान और बहुत सारे सौ से अधिक मंचों पर सम्मान दिलाया है।आज एक जाने पहचाने चेहरे के रूप में स्थान रखता हूं ।मेरे स्कूल का समाचार हर एक दो दिन में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में आता है जो लोग आलोचना करते थे वे भी सम्मान से स्थान देते हैं मनुष्य अपने भाग्य निर्माता आप है लोगों को पहचान उनके कार्यों से ही मिलती है कर्म ही पूजा है धैर्य और लगन के साथ आगे बढ़ते रहे समाज आप को स्वयं रास्ता दे देंगे कभी अपना मनोबल कमजोर बिल्कुल ही न करे भगवान कोई चीज छिनता है तो कुछ विशेष गौड गिफ्ट भी देता है मेरी दिव्यांगता मेरे लिए अभिशाप नहीं वरदान साबित हो रही है।
तुलेश्वर कुमार सेन
सलोनी राजनांदगांव
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