नशे की गिरफ्त में युवा वर्ग _तुलेश्वर कुमार सेन**हम सब,हमारा घर,परिवार,समाज आज कहां जा रहे हैं चिंतन कीजिए*
*नशे की गिरफ्त में युवा वर्ग _तुलेश्वर कुमार सेन*
*हम सब,हमारा घर,परिवार,समाज आज कहां जा रहे हैं चिंतन कीजिए*
*हम सब,हमारा घर,परिवार,समाज आज कहां जा रहे हैं चिंतन कीजिए*
मनुष्य जीवन अनमोल है जो हमें कई जन्मों की तपस्या करने के बाद मिलता है और हम लोग उसे नशा करने में लगा देते हैं।मौज मस्ती में लगा देते हैं।घर,परिवार,पत्नी और बच्चे तक सीमित समझ लेते हैं।अगर उनका सार्थक उपयोग किया जाए तो एक जन्म में ही सब कुछ पा सकते हैं।हमारे जितने भी महापुरुष,संत महात्मा, समाज सुधारक,क्रांतिकारी हुए हैं उन्होंने समय का सदुपयोग किया और नर से नारायण और पुरुष से महापुरुष हो गए बस जरूरत होती है एक संकल्प की।फैसला आपको स्वयं को करना होता है क्या करना और क्या नहीं ।मनुष्य जीवन में सबसे बड़ी चीज अगर कुछ मिला है तो वह है बुद्धि। जिसमें सोचने समझने की शक्ति है,सही और गलत निर्णय पर चिंतन मनन करने की छूट है अब जान बूझकर कोई गड्ढे में जाएगा उसे कोई नही रोक सकता है।आप सभी लोगों को पता है नशा पान की जितनी भी सामग्री होती है उसमें कुछ चित्र,फोटो और दिशा निर्देश स्पष्ट रूप से लिखा हुआ रहता है उसके बाद भी दुनियां का समझदार प्राणी मनुष्य नशे पान को किसी न किसी रूप में अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं।क्या पढ़े लिखे और क्या अनपढ़ सभी लोग उसमें शामिल रहते हैं बल्कि देखने में आ रहा है कि पढ़े लिखे लोग ज्यादा नशे पान के आदि होते हैं और वे भी नए नए रूपों में।अनपढ़ लोग तो अनजाने में या देखा देखी में नशा पान करने लग जाते हैं और अपना तन_ मन _धन और जीवन को बर्बाद करने में लग जाते हैं।
ऐसी आदत या लत जिनकी वजह से हमारी जिन्दगी नरक बनती जा रही हो वह सभी नशा की श्रेणी में आता है।आज नशा मतलब केवल पान मसाला, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, शराब, गाँजा गुड़ाखू ,चरस,हफीम , मुनका गोली,तंबाकू के सेवन को समझा जाता है जबकि झूठ बोलना,अत्यधिक मोबाइल का उपयोग करना,फैशन करना और फिजूल खर्ची अर्थात आवश्यकता से अधिक खर्च करना भी एक प्रकार से नशा ही है। हमारे खान _पान, रहन _सहन, अचार_ विचार में अगर कोई त्रुटि हो रही हो जिसके कारण आम आदमी के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है वह एक प्रकार से नशा ही है।नशा करने से शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक नुकसान बहुत ज्यादा होता है उसकी भरपाई करना असंभव है।एक पीढ़ी अगर नशा करता है तो आने वाली तीन पीढ़ी बर्बाद हो जाता है और एक पीढ़ी अगर संभल जाए तो तीन पीढ़ी को बचाया जा सकता है।उसी पैसे को अगर बचा कर सदुपयोग किया जाए तो हर व्यक्ति स्वस्थ,मस्त और तंदुरुस्ती का जीवन जी सकता है। रोटी, कपड़ा और मकान प्राप्त कर सकता जिससे उनको शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है।
अगर बात करें युवा वर्ग की तो सबसे ज्यादा हमारे युवा वर्ग नशे की आदी होते जा रहे हैं। हमारी युवा पीढ़ी विज्ञापन बाजी में फंसकर अपना जीवन बर्बाद करने के लिए अग्रसर हो चुके हैं। विज्ञापन और सिनेमा वालों ने इतना ज्यादा भ्रमित कर दिए हैं कि वह स्वयं कोई निर्णय नहीं ले पाते।जिसके कारण सही और गलत में फर्क ही नहीं कर पा रहे हैं। जो भी वह सिनेमा और विज्ञापन में देखता है उसे ही सच मानकर अपना जीवन बर्बाद करने में लग जाता है।जबकि वे लोग विज्ञापन बाजी में केवल और केवल पैसा कमाने के लिए आएं हैं ।किसी के जीवन मरण से उन्हें कोई फर्क नही पड़ता है। रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर होता है।हमारे युवा वर्ग आज किस दशा दिशा की ओर जा रहे हैं उनसे उन्हें कोई मतलब नहीं होता है।उनके लिए पैसा ही सब कुछ होता है।विज्ञापन करो और पैसा कमाओ।देश की दशा और दिशा से इन्हें कोई मतलब नहीं होता है।हम सभी लोग इन्हें ही आज अपना आदर्श मानते हैं।वे लोग जैसा जीवनचर्या,खान पान ,रहन सहन, आचार, विचार व्यवहार में शामिल कर लेते हैं हम भी एक सूरदास की तरह अपनाना शुरू कर देते हैं।कभी सच और झूठ में अंतर समझने का प्रयास ही नही करते।
आज कल स्कूल,कालेज में भी युवाओं को नशे की सामग्री उपलब्ध कराई जाती है या विज्ञापन में देखे रहते हैं जिसके कारण क्या बच्चे, क्या युवा,क्या महिला,क्या पुरुष सभी नशे की दुनियां की बेताज बादशाह बनते जा हैं। समाज में लगभग अस्सी प्रतिशत अपराध,दुर्घटनाएं, नशे पान के कारण होता है।अपना जान तो गंवाते ही है दूसरों का भी जान ले लेते हैं।चाहे रोजगार वाला व्यक्ति हो या बेरोजगार व्यक्ति सभी नशे पान की चक्रव्यू में पूरी तरह फंसते जा रहे हैं।
हमारी युवा पीढ़ी दिन भर और रात _रात तक मेहनत करते हैं उसके बाद जो पैसा मिलता है उसे नशे पान में लगाकर अपना घर परिवार और जीवन को बर्बाद करने में लगा लेते हैं।कभी जन्म दिन पार्टी,कभी नए पुराने साल पार्टी,कभी सगाई पार्टी ,कभी शादी पार्टी,कभी छट्टी पार्टी और न जाने क्या _क्या उनको तो बस बहाना चाहिए नशा पान करने का ।आज कल तो बिना डीजे और शराब के कोई भी कार्यक्रम संभव ही नहीं हो पाता है।अपना वर्तमान और भविष्य अपने ही हाथों बर्बाद कर लेते हैं। स्वयं कुछ न कर पाएं तो लोगों को और समाज को दोष देना शुरू कर देते हैं।अपनी गलती के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं।हमारे युवा पीढ़ी को बर्बाद करने में छोटे_ बड़े स्थानीय और राष्ट्रीय पार्टियां भी कम जिम्मेदार नहीं हैं ।आपको चुनाव के समय प्रत्यक्ष_ अप्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिल जाता है।किस तरह प्रचार प्रसार और नशे की सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।उनका एक ही मकसद होता छल, दम, दंड, भेद किसी भी तरह हो सत्ता प्राप्त करना है।एक एक वोट को नोट के बदले भी खरीदा जाता है।जब फ्री में मिलता है तो वह बिना कुछ सोचे समझे नशे की दुनियां में कदम रखने लग जाता है।स्वयं नशा को छोड़े और दूसरों को भी छोड़ने हेतु प्रेरित करें जिससे नशा मुक्त समाज बनाने में कामयाब हो सके।एक का नशा छुड़ाएं पांच लोगों की जान बचाएं।बुरी संगति से बचे। न स्वयं नशा करें न किसी को प्रेरित करें।जहां पर भी नशे पान की सामग्री उपलब्ध कराई जाती है वैसे कार्यक्रमों से दूरी बनाए।पोस्टर, फलेक्स, नारे, रैली, फिल्म,गीत संगीत से प्रचार प्रसार करें।एक उदाहरण शराब का देते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा ।जो किसी कारण आदि हो गए हैं नशा मुक्ति परामर्श केंद्र से संपर्क कर सकते हैं और मार्गदर्शन लेकर नशा छोड़ सकते हैं।सांप,शराब,और शेर वैसे तो तीनों खतरनाक साबित होते हैं आपको बताना चाहूंगा सांप और शेर वालों को एक बार बचाया जा सकता है परंतु जिनके घर परिवार में एक शराबी हो जाए तो वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है अपने साथ अपने घर, परिवार, समाज को भी बर्बाद कर देता है। कुछ नारे हैं जिनसे समाज में जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है।
गुटखा खाया गाल गलाया।
गोभी जैसा मुंह फुलाया।।
शराब अंदर तो, अक्ल बाहर।
पिटती पत्नी बिकते जेवर।
छोड़ शराबी अपने तेवर।।
तन मन धन के ये डाकू।
बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू।।
आज के युवा अपने जीवन लक्ष्य से पूरी तरह भटक गया है जिसके कारण नशे पानी की चक्कर में फंसकर पशुओं से बदत्तर जीवन जी रहा है।कोई भी जानवर नशा पान नहीं करता है परंतु दुनियां का समझदार प्राणी मनुष्य आज मनुष्य जीवन पाकर भी नशापान करता है।दिन भर एक जानवर की तरह जुगाली करते रहता है।अपने मुंह में दिन भर तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, गुड़ाखू भरते रहता है।जितने भी नशापान करने वाले हैं भगवान उनको सद्बुद्धि दे उनके घर परिवार में सुख शांति बना रहे।
तुलेश्वर कुमार सेन
प्रधान पाठक नशा मुक्ति अभियान प्रचारक राज्य पाल शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षक
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