विषधर विष उगलेगा ही चाहे दूध पिलाओ जितना|

विषधर विष उगलेगा ही चाहे दूध पिलाओ जितना|
मुँहतोड़ जवाब दिया जाता इधर से है हर बार|
तोड़ नहीं पाये अब तक उसका एक भी बार||
यदि तोड़े होते मुँह उसका तो आज न रोना पड़ता|
बात से नहीं लात से उसको  कुचलो अबकी बार||

विषधर विष उगलेगा ही चाहे दूध पिलाओ जितना|
गर्दभ लात चलायेगा ही चाहे पाठ पढ़ाओ कितना||
दोनों की प्रकृति नहीं बदलेगी दोनो ही हैं खुंखार|
लट्ठ की भाषा समझें जितना प्यार न समझें उतना||

दंड उन्हें देने से पहले उनको दंडित करिए|
आते हैं रहते हैं पलते खाते हैं जिनके जरिए||
जरिया ही वो बंद करो प्रथम उसी पे करो वार|
शक्तिहीन कर उनके रक्षक को पहले धरिए||

संसद में भी जो बैठे हैं दहशतगर्दों के आका|
उनका भी पहले बंद करो दाना पानी हुक्का||
वो ही करवाते दंगल उनसे वो ही उनके रक्षक|
उनकी नसबंदी करिए जो यहाँ हैं उनके काका||

फिलिस्तीन का झोला ले जो संसद में जाये|
फिलिस्तीन की जय हो जो नारा लगवाये||
घोषित करो देशद्रोही दंड दो उसको प्रथम|
जो हिन्द मे रहके हिन्द की ऐसी तैसी करवाये||

आंदोलन में पाकिस्तानी झंडा जो फहराये|
ऐसे पाक प्रेमियों को पाक में अब पहुँचायें||
उन्हें यहाँ न रखिए अब वो हैं आस्तीन के साँप|
वो घातक हैं उनको अब दूध नहीं पिलवायें||
पं.जमदग्निपुरी

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