प्रिय तान्या को -----
----------प्रिय तान्या को --------
लिपट कर पूंछती मुझसे तुम्हारे नेह का लाटा।।
उछलना कूदना ह़ंसना तुम्हारे नेह का चाटा।।
बहुत पछता रहा हूँ लौट कर कैसे चला आया-
विलग हो कर के लगता है कृपण की भारी हो घाटा।।
बहुत बेचैन हो जाता हूँ स्मृतियाँ सताती है।।
मधुर मुस्कान निर्छल नेह नैनों को लुभाती है।।
चली आओ चली आओ मेरे आंसू बुलाते हैं-
विवशता क्या करूँ तान्या तुम्हारी याद आती है।।
कहा किसने विलग हूँ मैं समाया हूँ सदा हूँ मैं।।
तुम्हारी हर अदा मुश्कान पर पल पल फिदा हूँ मै।।
समाई हो मेरी सांसों में दिल के पास हो तान्या-
असंभव है विलग होना कहाँ तुम से जुदा हूँ मैं।।
तुम्हारे गुनगुनाने से हवा भी गुनगुनाती है।।
तुम्हारी तोतली भाषा मेरे मन को लुभाती है।।
तुम्हरा रूठना नाराज होना मान जाना भी-
मधुर मुस्कान अधरों की,मुझे बरबस बुलाती है।।
---------तान्या के-------ना--------ना
Comments
Post a Comment