*ए आतंकी आते कहाॅ से हैं और कैसे आते हैं*
*ए आतंकी आते कहाॅ से हैं और कैसे आते हैं*
आजादी को बाद से लेकर अब तक भारत कुछ समय निकाल दो तो हमेशा आतंक से पीड़ित रहा है।और साथ ही साथ अन्य दंगों से भी।जैसे जातिवादी धर्मवादी प्रांतवादी आदि।हमारा भारत कभी भी चैन की नींद नहीं सो पाया। हमेशा कोई न कोई इसे दुख देता ही रहा। जितना ही यह अहिंसक बनने की कोशिश में रहा,उतना ही इसके दामन पर हिंसा का दाग लगा।जितना ही यह शांति का पक्ष लिया उससे कहीं अधिक यह अशांत रहा।कभी अपनों से घायल हुआ तो कभी औरों ने इससे खिलवाड़ किया।इसे औरों से कम तकलीफ जितना की अपनों ने दिया।यह आये दिन अपनों के ही लहू से लहूलुहान होता रहता है।कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर।तो कभी अन्य आंदोलनों के नाम पर अपने ही इसे घायल करते आ रहे हैं। १९८०के दशक में अचानक से आतंकी घटनाओं की जैसे बाढ़ सी आ गई।इन आतंकी घटनाओं ने देश की कई छोटी बड़ी हस्तियों को निगल लिया है।देश की विकास की गतिविधियों पर जैसे ब्रेक सा लगाया हुआ है।कई राज्य इस वजह से पिछड़े हुए हैं।१९९०के दशक में तो कई राज्य इसकी चपेट में आ गये।जैसे आसाम काश्मीर पंजाब नागालैण्ड मणिपुर आदि।ये रह रहके देश को दर्द देते आ रहे हैं।
विगत कुछ वर्षों से थोड़ी राहत मिली थी।लगने लगा था कि अब हम भारतीय चैन से जीयेंगे। लेकिन तभी मरा हुआ सॉप पुनः फन उठाकर फुफकार दिया और काश्मीर के पहलगाम में २७ हॅसती खेलती जिन्दगियों को निगल लिया।और हमारी शांति को भंग ही नहीं तहस नहस कर दिया।जब भी हम भारतीय हॅसी खुशी से रहना शुरू करते हैं तो कोई न कोई आकर हमारी खुशी को छीन लेता है।२२अप्रैल २०२५ को पहलगाम की घटना उसी में से एक है।हम समझ रहे थे कि अब शांति बनी रहेगी और हमारा काश्मीर जो स्वर्ग कहा जाता है, वह अब सच में स्वर्ग का सुख देगा। लेकिन हम भूल गये कि स्वर्ग को पाने की लालसा असुरों की अभी मरी नहीं है।असुर स्वर्ग को पाने के लिए अपने प्रयास को नहीं छोड़ेंगे।हम गफलत में हो सकते हैं मगर वो नहीं। उनमें अब भी मुहम्मद गोरी जिन्दा है।हम कितने भी बुद्ध बन लें।मगर वो अपने लक्ष्य से कभी भी तिल भर भी टस से मस नहीं होंगे।उनका बस एक ही निदान है,समूल विनाश।जैसे कैंसर का समूल नाश करने के लिए आपरेशन कर कीमो चढ़ाया जाता है,वैसे इन आतंकवादियों का समूल नाश कर आतंकवादियों के समर्थकों का भी सफाया अति आवश्यक है।तभी भारत शांत रह पायेगा।
अब बात यह आती है कि ये आतंकी आते कहाॅ से हैं।यह बहुत ही सोचनीय विषय है।जबतक इसका हल नहीं मिलता,आतंक का सफाया नहीं हो सकता।जब भी कोई आतंकी घटना होती है,सरकार पाकिस्तान पर दोष मढ़ कर हो हल्ला कर इति श्री मान लेती है।माना कि पाकिस्तान भारत में आतंकी भेजता है।तो कैसे भेजता है,इस पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है।जब की तमाम खुफिया एजेंसियॉ पगार के रूप में करोड़ों डकार रही हैं।सरहद की चौकसी रखवाली हो रही है।बिना सुरक्षा कर्मी की इजाजत के परिंदे भी इधर से उधर नहीं हो सकते तो ये आतंकी भारत में आते कैसे हैं।क्या यह सुरक्षा में चूक नहीं है।इतनी मुस्तैदी के बाद भी आतंकी आये और २७ निर्दोष लोगों को भून कर चले गये।कैसे सम्भव हुआ।यहॉ सरकार की जवाबदेही बनती है।
जब हम जानते हैं कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमें चैन से जीने नहीं देगा तो उससे सभी तरह के सम्बन्ध विच्छेद क्यों नहीं किया जा रहा है। इतना होने के बाद भी अभी तक हमारे दूतावास बंद क्यों नहीं हुए। व्यापार बंद क्यों नहीं हुए।हो सकता है आतंकी इन्हीं के जरिए भारत में आते हों। यदि वहॉ से नहीं आ पा रहे हैं। तो कहीं सुरक्षा में चूक तो नहीं है।मतलब साफ है कि आतंकी अपने ही घर में हैं। इसलिए पाकिस्तान से पहले भारत के भीतर बैठे आतंक के समर्थकों को खोजकर इनको देश से बाहर या दुनियां से बाहर किया जाय। पाकिस्तान तो वैसे ही मर जायेगा। जहां से उसको खाद पानी मिल रहा है, पहले चोट वहां करके उसकी कमर तोड़ी जाय।वह खुद ही टूट जायेगा।आपको उनके समर्थकों को ढूंढ़ने में विशेष मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। टीवी पर सभी भाषणबाजी करते मिल जायेंगे।जो भी पाकिस्तान फिलीस्तीन जिंदाबाद का नारा लगाया हो या लगाता हो।उसे देशद्रोही घोषित करिये।और जेल में कैद नहीं जिस स्वर्ग की चाह में ये आतंकी का समर्थन करते हैं, वहीं भेज दिया जाय।रोग खत्म ।पीड़ा गायब।शांति कायम।जय हिन्द
पं.जमदग्निपुरी
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