" नए वर्ष के आगत में "
" नए वर्ष के आगत में "
क्षितिज गोद में रवि के छिपते ही संध्या हॅंस बोली।
धरती पर ले चलो सजा कर नए वर्ष की डोली।।
पा करके आदेश पालकी लेकर चलीं दिशाएं।
नए वर्ष के अभिनंदन में, मंगल थाल सजाएं।।
पुलक प्रकट करती है धरती आगंतुक के स्वागत में ।
हो सबका कल्याण जगत् में, नए वर्ष के आगत में ।।
सभी स्वस्थ सानंद रहें, हम सबकी है प्रत्याशा।
सुख समृद्धिमयी जीवन हो, यह मेरी अभिलाषा ।।
मंगलकामी आत्मीय
-प्रोफेसर विश्वनाथ द्विवेदी
प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष हिंदी,
गौतम बुद्ध राजकीय महाविद्यालय दर्शननगर, अयोध्याधाम,उ.प्र.।
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