गजब के तर्क दिए जाते हैं हमारे हिन्दुस्थान में*

*गजब के तर्क दिए जाते हैं हमारे हिन्दुस्थान में*
    आज हम बात कर रहे आतंकवादी और उनके समर्थकों,मानवाधिकार वालों और इस देश की धर्म निरपेक्षतावादी पार्टियों की|हम जबसे जानने समझने लायक हुए हैं,तभी से आतंकियों द्वारा काश्मीर,पंजाब,असम,मुम्बई दिल्ली आदि राज्यों बेगुनाह लोगों का रक्त बहते,बेघर होते, लावारिस होते देखते सुनते आ रहे हैं|आतंकी घटनाओं से देश को बरवाद होते देखते आ रहे हैं|जो देश सोने की चिड़िया कहा जाता था,उसी देश को आतंकियों से साठ गाँठ किए धर्मनिरपेक्षतावादियों के चलते भिखारी होते दीन हीन की जैसे नियति बनते देखते आ रहा हूँ|हमारे इस हिन्दुस्थान की लगभग 50% जीडीपी आतंकी घटनाओं से नुकसान की भरपाई में लगते देखते आ रहा हूँ|जो धन देश की प्रगति में लगना चाहिए वो आतंकियों द्वारा क्षति की गई सम्पत्ति को सुधारने में लगते देखते आ रहा हूँ|जबसे छद्म आजादी मिली है तबसे ही आतंकियों की करतूतों से इस देश के मजबूर देशवासियों को अपनों की बरवादियों पर आँसू बहाते देखते सुनते आ रहा हूँ|
      हमारे इस देश में 80 से 2020 के दशक तक आतंकी घटनायें पर्व जैसी हो गई थीं जो आये दिन इस देश का वातावरण चीखों से गुंजायमान किए हुए थी|2020 से 2024 के मध्य इसमें बहुत कमी आई थी,मगर पुनः शिर उठाने लगी है|आज फिर से आतंकी घटनायें अपनी रफ्तार पकड़ रही है|जो की इस देश के लिए और देशवासियों के लिए किसी भी तरह से हितकर नहीं है|
      विगत में जब भी हमारे देश में आतंकवादी घटनायें होती थी तो हमारे देश की धर्मनिरपेक्षतावादी पार्टियाँ गजब का तर्क देकर उनका बचाव करती थीं|कहती थीं वो अनपढ़ हैं,मासूम हैं,भटके हुए नौजवान हैं|विगत सरकारें भी उपरोक्त शब्दों का सहारा लेकर कार्यवाई करने के बदले पल्ला झाड़ लेती थीं|लोग मरे इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता था|घटना होती थी,पत्रकार वार्ता होती थी,दो चार घड़ियाली आँसू बहाकर कर इति श्री कर ली जाती थी|बस हो गया काम|इसी का फायदा उठाते हुए बेलगाम आतंकी देश को बरवाद करते चले आ रहे हैं|मराठी में एक कहावत है,अपना काम बनता,भाड़ में जाये जनता|हमारे कर्णधार लोगों का यही खेल चल रहा है|धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक धर्म विशेष की हमारे देश की  धर्मनिरपेक्षतावादी पार्टियाँ कवच बनी हुई हैं|जो इस देश को धर्म के नाम से बाँटने में मुख्य रहा|जो इस देश में आतंक फैलाने में मुख्य रहा|उसी धर्म के चलते इस देश का तियाँ पाँचा हो रहा है|स्वर्ग जैसे सुन्दर काश्मीर को नर्क बनाया जा रहा है|फिर भी उन्हीं के समर्थन में अधिकाधिक राजनीतिक पार्टियाँ यह कहके बचाव करते हुए दिखती हैं कि वो नादान हैं,अनपढ़ हैं,बेरोजगार हैं,बहके हुए लोग हैं,इनको मुख्यधारा में लाना है|मानवाधिकार आयोग भी उन्हीं की मौत पर रुदाली करता है|आम जन जो निरपराध मारे जाते हैं,उस पर चूँ तक नहीं बोलती|समझ में नहीं आता कि मानवाधिकार मानव का है कि दानव का|आजतक हमने नहीं देखा न सुना कि कभी भी मानवाधिकार आम जन के मानवाधिकार के लिए कुछ कहा हो|आतंकी घटनाओं के शिकार हुए लोगों कि लिए धरना प्रदर्शन या किसी भी तरह का सरकार पर दबाव बनाया हो|अदालत भी हमारे देश की उन्हीं के लिए समर्पित दिखती है|दुनिया भर के सबूत होने के बाद भी उनको जमानत देने के लिए जैसे मरी जा रही होती है|इन्हीं सबका फायदा उठाते हुए हमारे इस शांति का संदेश विश्व भर को देने वाले देश का तियाँ पाँचा हो रहा है|
       मजे की बात यह है,आज तक जितने भी आतंकी पकड़े गये ,या मारे गये,कोई न मासूम था,न अनपढ़ था,न बेरोजगार था|कोई डॉक्टर तो कोई इंजिनियर,तो कोई प्रोफेशर ही पकड़ा गया या मारा गया|यह कभी नहीं सुनने में आया कि यह आतंकी घसियारा है|जितने भी पकड़े गये या पकड़े जाते हैं,सबके सब दक्ष,हरफन में माहिर होते हैं|वैज्ञानिक होते हैं,बहुत ही बड़े शातिर होते हैं|उसके बावजूद भी हमारे देश की धर्मनिरपेक्षतावादी पार्टियाँ अपनी राजनीति चमकाने के लिए उनके ही समर्थन में,उन्हें मासूम अनपढ़ बेरोजगार,और भटका हुआ बताने पर तुली हुई हैं|इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इन्हीं धर्मनिरपेक्षतावादी पार्टियों की शह पर हमारा देश और देशवासी  रक्त रंजित हैं|अभी दो चार दिन पहले की बात है,एक डॉक्टर पकड़ा गया है,जो हास्पिटल के नाम पर आतंकी अड्डा चला रहा था|सुनकर धर्मनिरपेक्षतावादी पार्टिर्यों की सोंच पर गुस्सा आता है|और उनका समर्थन करने वाली जनता की मासूमियत पर तरस|
पं.जमदग्निपुरी

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