सनातन के सबसे बड़े सनातनी ही दुश्मन हैं*
*सनातन के सबसे बड़े सनातनी ही दुश्मन हैं*
सनातन धर्म ही पुरातन धर्म है|यह सृष्टि के साथ शुरू हुआ है और इसका अंत भी सृष्टि के साथ ही होगा यह निश्चित है|क्योंकि आदिकाल से लेकर अब तक जितने अत्याचार,जितने हमले सनातन धर्म और धर्मावलम्बियों पर हुए हैं,जितनी टूट सनातन धर्म में हुई है|वह किसी सम्प्रदाय या पंथ के साथ नहीं हुई है|सनातन पूरे विश्व में था|जिसका सबसे सटीक उदाहरण वसुधैव कुटुम्बक म का सिद्धांत है|जो सनातन का ही है|सनातन मानव को सही ढंग से रहने जीने खाने का सलीका दिया है|सनातन में कोई बंदिश नहीं|सबको अपने काम और कर्मकांड करने की पूरी आजादी देता है|करना न करना उस मानव का अधिकार है,जिसे करना है|सनातन ने कभी नहीं कहा कि यह कार्य करना ही है|कर्मकांड कोई भी हो वह मानव पर छोड़ दिया है|और पंथों में ऐसा नहीं है|अब आप सब सोंच रहे होंगे कि धर्म के बदले मैं पंथ क्यों लिख रहा हूँ|
तो आप सबको सबसे पहले अपने दिलो दिमाग से यह बात निकाल देनी चाहिए कि सनातन के अलावा भी कोई धर्म है|सनातन के अलावा कोई धर्म है ही नहीं|आज जितने भी धर्म मशरूम की तरह पूरे विश्व में प्रकट हुए हैं सबके सब पंथ हैं|सम्प्रदाय है़|ए सभी मानव द्वारा चलाये गये हैं|जिसका किसी तरह वर्चस्व बढ़ा,वह सनातन से निकल कर अपनी एक अलग धारा बनाई| पहले पंथ बनाया फिर धीरे वही राजनीतिक कुचक्र के चलते धर्म बना|और वही अपने विस्तार हेतु उन्मादी होकर मारकाट हत्या बलात्कार जैसी कुसंस्कृति को जन्म दिया|वह सम्प्रदाय या पंथ खुब विस्तार किया जो तलवार के दम पर आगे बढ़ा|सनातन लचीला था|जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलता रहा,इसलिए टूटते गया|सनातन में अपने प्रखर से प्रखर विचार रखने की आजादी है इसलिए टूट रहा है|और पंथों में ये आजादी नहीं है|और पंथों में बंदिश है|उनके गुरुओं के बारे में उनके ईष्ट के बारे में,उनके ग्रंथ के बारे में,उनके कर्मकांडों के बारे में चाहे सरासर गलत ही क्यों न हो,किसी की औकात नहीं है कि बोल सके|या लिख सके|खासकर करके भारत में,जहाँ सनातनी थोड़े बहुत बचे हैं|यह देश धर्मनिर्पेक्ष होते हुए भी सनातन द्रोही है|सनातन को गाली देने वालों,और सनातनी कर्मकांड को बुरा बताने वालों के साथ खड़ा मिलता है|यहाँ अदालत से लेकर सरकार तक सनातनद्रोहियों के साथ ही खड़ी मिलती है|वहीं अन्य पंथों की बुराईयों के बारे में जैसे ही कुछ लिखा बोला गया,यहाँ अदालत से लेकर सरकार और पंथ वाले भूखे गिद्ध की तरह लिखने बोलने वाले पर टूट पड़ते हैं|ऐसा करने वाले का शर तन से जुदा कर दिया जाता है|मगर वहीं सनातन को चाहे जितना गाली दो,चाहे जितना बुराई करो,कोई कुछ नहीं बोलता|यहाँ तक सनातनी मठाधीश शंकराचार्य आदि भी मौन साधे रहते हैं|कई बार तो हमारे शंकराचार्य भी जो संत वेश में राजाओं से भी अधिक वैभव भोग रहे हैं|वह भी सनातन के बारे में विष वमन करते हैं|जिसका ताजा और सटीक उदाहरण 22 जनवरी 2024 है|
कुछ सनातन द्रोहियों द्वारा समय समय पर सनातनी पर्व सनातनी परम्पराओं पर कुठाराघात किया जाता है|जिसपर न हमारे सनातनी संगठन मुखर होके बोलें न संत मंडली न मठाधीश न शंकराचार्य न सरकार न ही अदालत कुछ बोलती है|अदालत तो एक कदम आगे बढ़कर सनातनद्रोहियों के साथ खड़ी हो गई है|जबकी जज साहब भी सनातनी ही हैं|पीआईएल दाखिल करने वाला भी सनातनी है और पैरवी करने वाला भी| हम बात कर रहे हैं मृत्यु भोज पर,जो सनातनी 16 संस्कारों में अंतिम संस्कार है|विगत कई वर्षोंं से कुछ सनातन द्रोहियों ने इस विषय को खूब उछाला और राजस्थान की अदालत में एक सनातनद्रोही जज की बदौलत सफल भी हो गये|वही बकरीद पर कोई चूँ तक नहीं बोलता|जबकि उस दिन करोड़ों जीवों की हत्या की जाती है|चलीसा पर कोई नहीं बोलता,जबकी वह भी मृत्युभोज ही है|लेकिन सनातनी पर्व पर,परम्पराओं पर बोलने के लिए ज्ञान बाँटने के लिए सनातन द्रोही सनातनी ही बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं|
जबकी सनातनी पर्व और परम्परायें सभी जीव मात्र के कल्याण के लिए बनी हैं|जिसका सामाजिक आध्यात्मिक व वैज्ञानिक आधार है|सनातनी धर्मग्रंथ सदैव उपरोक्त तीनो आधारों पर खरे उतरे हैं|और किसी भी पंथ सम्प्रदाय के धर्मग्रंथ किसी भी तरह से उपरोक्त तीनो आधारों पर खरे नहीं उतरते|इसके बावजूद भी सनातन द्रोही सनातनी जो हैं,उन्हें सनातनी पर्वों में सनातनी परम्पराओं में खोट दिखती है|क्युंकि सनातन लचीला है|सरल है|जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलता है|इसलिए जिसे ही देखो वही मुँह उठाये मुँह में विष भरे विष वमन करके चला आता है|और पारितोषिक भी पाता है|साथ में बड़का वाला विद्वान भी घोषित हो जाता है|जिसकी कहीं पूँछ नहीं होती वह सनातन को गाली देना शुरू कर देता है|और बड़का वाला विद्वान बन जाता है|
हमारी समझ में यह नहीं आता कि इतने बड़के बड़के सनातनी मठाधीश हैं, शंकराचार्य हैं, प्रवचनकर्ता हैं,सनातनी संगठन हैं,इन सनातनद्रोहियों के खिलाफ अन्य पंथों की तरह मुखर होके आवाज क्यों नहीं उठाते|इनका आवाज न उठाना इनकी कार्यशैली पर शक पैदा करता है|इसलिए यह कहने में तनिक भी संकोच नही है कि सनातन के सबसे बड़े दुश्मन सनातनी ठेकेदार और सनातनी ही हैं|यहाँ अधिसंख्य सनातनी खुद को सनातनी ही नहीं मानते|आज यदि सनातन जो थोड़ा बहुत बचा है|वह भी थोड़े से ही सनातनियों के दम पर|
पं.जमदग्निपुरी
सुन्दर लेख
ReplyDeleteधन्यवाद