सच का सामना
सच का सामना
अंबर अवनी ये चाँदसितारें, सच का सामना करते आठों याम।
पंच महाभूत हैं जो हमारे आँगन,इक-दूँजे का करते काम।
जीवन की सार्थकता बनी रहती, उन्नति का सदा हो परिवेश।
देखते-जानते है सब सच को,
रहते बेखबर न लेता कोई नाम।
मीरा गरल पान कर गई सब के सामने,वो कृष्ण प्रेम की थी दीवानी।
कृष्ण-मीरा का प्रेम था सांचा,
वो तो विष पाकर हुई मस्तानी ।
सच के पथ पर जो चलते हैं,
पल-पल करना पड़ता सच का सामना।
खरे सोने को सदा खरा रहना पड़ता, यही उसके जीवन की सच कहानी।
फिजाएं ना चले तो क्या होगा,जीवन की मिटने लगेगी निशानी।
मनुज तू भलाई कर सच राह पे चल, तेरी बिगड़ी बनेगी ना कर तू नादानी।
प्रहलाद आराध्य का करता भजन,खंभफाड़ बचाये उसकी जिंदगानी।
गजराज प्रभु को मन से पुकारा, पल भर में खत्म हुई उसकी परेशानी।
छात्र विद्यार्थी जीवन में परीक्षाएं देता,सच मन से जो पढा़ बना महान।
धूप की तपन ठंड की कपन में फसलें उगाता, वह कहलाता है किसान।
जो कड़ी मेहनत व्यायाम योग है करता,वह कहलाता है पहलवान ।
शरद चंद्र कहता है जो नित धरता धैर्य, वह कहलाता है धैर्यवान।
डॉ शारदा प्रसाद दुबे, शरद चंद्र
ठाणे, मुंबई महाराष्ट्र
( स्वयं मौलिक रचना)
दिनांक: 24-06-25
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