अपराधी त अलमस्त हयेन,बिन अपराधे क मारी गये।। बैरी से अपने जीत गए, भाई से अपने हारी गये।।
अपराधी त अलमस्त हयेन,बिन अपराधे क मारी गये।।
बैरी से अपने जीत गए, भाई से अपने हारी गये।।
दारू क दिवाना होइगा,बा हरका बरजा मानत नाहीं।।
का ऊंच नीच का छोट बड़ा, तनिकउ लिहाज जानत नाहीं।।
मारी गई बा मति बुद्धि मुर्ख, सोई बुद्धि जागत नाहीं।।
परिवार छिन्न भिन्न होइगा, सुखमय भविष्य लागत नाहीं।।
पीयेस कुलि धोइके लाज शरम आंखी क पानी मरिगबा।।
माई क जान बा खतरे में, भाई से अब मन भरिगाबा।।
पालने पोषेन का नाइं किहेन, का पायेन खाली शोक गयेन।।
बाबू क जिनगी नष्ट किहेस अहकत सिहकत सुर लोक गयेन।।
माई क जिउ गाई क हउ, देवता दिन रात मनावथ।।
टपटप टपटप आंसू चूवैइ रत्ती भर सुख कब पावथ।।
लड़िका मारैइ मेहरि मारैइ गरियावथ बिनु बातीक।।
अपनैइ होइगबा भार भाई, पीरा होइगबा छातीक।
भैइया के जियतैइ भउजी के जैइसे उ राड़ जाने बाटैइ।।
चाहथ करैइ गुलामी सब किचकिच, किचकिच फाने बाटैइ।।
अब का महिमा गुन गाई हम का करी बड़ाई माई क।।
खूने से बस मजबूर हई, करनी खराब बा भाई क।।
दारू पी के तब बोलथ बोलत नाहीं दारू के बिना।।
दारू पिये के बाद दइंत, उत्पात मचावैइ रात -दिना!।
भय हरैइ जे उहैइ भाई हउवैइ, भय देइ जे भाई कसाई हउ।।
कवनउ कल बल लागत नाहीं, किस्मत क मोरे कमाई हउ।
लम्बी- लम्बी बातैइ बाटैइ, गंन्धाइग नात कबीला में।
घर गाऊँ थूकैइ थू थू- थू थू, सरनाम होइगबा जिला में।।
जिनगी क सतवां दशक हउई, समुझाइ बुझाइ के हारी गए।
जिनगी बितिग रोवत धोवत , बिन अपराधे क मारी गये।।
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