जाने- माने साहित्यकार विजय बागरी जी **"दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार!

** जाने- माने साहित्यकार विजय बागरी जी **
"दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में  हुआ साक्षात्कार!

अतिथि:  विजय बागरी जी

होस्ट: किशोर जैन
रिपोर्ट: सुनीता सिंह "सरोवर"


साहित्यकार या रचनाकार वह होता है जो अपने आसपास के परिवेश से तथा अपने अंतर्मन में उठ रहे सवालों को पन्ने पर अपनी तूलिका से सजाता है l वह अपने ह्रदय पर उभरते, बिखरे शब्दों को पिरोता है ओर अपनी आवाज में उन भावों को सजाकर रचना में चार चाँद लगा देता है l
आज दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय चंद बातें कुछ यादें नई पुरानी में लेकर आया हैं साहित्य जगत से आदरणीय विजय बागरी जी को l

किशोर जैन  जी के प्रश्नो का जवाब  देते हुए  विजय जी ने बताया कि वे, मध्यप्रदेश के जबलपुर के  छोटे से गाँव के रहने वाले हैं, जिसकी आबादी लगभग 5000 है|
उन्होंने बताया   उनके मकान में सारी सुख सुविधा है  फिर भी वे गाँव के मकान में ही रहना पसंद करते हैं, क्योंकि मुझे गाँव में प्रकृति के बीच  रहना बहुत पसंद है,अधिकतर हमारी कल्पनाओं में हमारी लेखनी में भी गाँव का दृश्य कभी पानी भरती पनिहारिने, कही हल चलाते किसान तो कहीं  मवेशियों को चराते बच्चे  ही होतें हैं, और फिर शहरों में छोटे से मकान में ही पूरी जिंदगी लगता है कैद हो जाती है, भागमभाग जीवन से दूर गाँव का शुद्ध और शांत वातावरण मुझे सदा से ही लुभाता है | इसलिए   मुझे गाँव में रहना पसंद है ||

वे लगभग बारह साल पहले से  लिखना शुरू किया l
 दर असल शिक्षा विभाग से जुड़े होने के नाते और अपने विषय को रोचक बनाने के लिए कविता ही सबसे उतम माध्यम लगता है, जिससे आसानी से बच्चों को पढाई में रूचि बढ़ने लगती है, तभी से आप ने लिखना शुरू किया और आपकी  सबसे पहली प्रकाशित पुस्तक का नाम मैं दरिया का बहता पानी  यह पद्म आधारित कृति है, इसके बाद आपकी एक- एक करके चार और कृतियाँ प्रकाशित हुई, इस समय आप पुष्प वाटिका नामक काव्य खंड पर कार्यरत हैं |

अपने आखिरी संदेश में बहुत ही सुंदर संदेश देते हुए कहा की अपने लेखनी को जीवंत करें, होड़ और देखा - देखी में सृजन नहीं किया जा सकता, सृजन खिस करके छंद तो एक साधना है, जैसे तपस्वी तप करते हैं, ठीक वैसे ही रचनाएँ और लेखनी भी शारदे की साधना के फल स्वरूप ही प्राप्त होता है, आजकल के जीवंत मुद्दे पर  कलम चले तो इतिहास बन जाए ||

      अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक  मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।

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